अरे पुरवाही, ले जा मोरो संदेश
धनी मोरो बइठे, काबर परदेश
अरे पुरवा…ही
मोर मन के मया, बांध अपन डोर
छोड़ देबे ओखरे , अचरा के छोर
सुरुर-सुरुर मया, देवय सुरता के ठेस
अरे पुरवा…ही
जोहत हंवव रद्दा, अपन आँखी गाढ़े
आँखी के पुतरी, ओखर मूरत माढ़े
जा-जा रे पुरवाही, धर के मोरे भेस
अरे पुरवा…ही
मोरे काया इहां, उहां हे परान
अरे पुरवाही, होजा मोरे मितान
देवा दे ओला, आये बर तेश
अरे पुरवा…ही
-रमेश चौहान
धनी मोरो बइठे, काबर परदेश
अरे पुरवा…ही
मोर मन के मया, बांध अपन डोर
छोड़ देबे ओखरे , अचरा के छोर
सुरुर-सुरुर मया, देवय सुरता के ठेस
अरे पुरवा…ही
जोहत हंवव रद्दा, अपन आँखी गाढ़े
आँखी के पुतरी, ओखर मूरत माढ़े
जा-जा रे पुरवाही, धर के मोरे भेस
अरे पुरवा…ही
मोरे काया इहां, उहां हे परान
अरे पुरवाही, होजा मोरे मितान
देवा दे ओला, आये बर तेश
अरे पुरवा…ही
-रमेश चौहान
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