टोकब न भाये
(करखा दंडक छंद)
काला कहिबे, का अउ कइसे कहिबे, आघू आके, चिन्हउ कहाये ।
येही डर मा, आँखी-कान ल मूंदे, लोगन कहिथे, टोकब न भाये ।।
भले खपत हे, मनखे चारों कोती, बेजा कब्जा, मनभर सकेले ।
नियम-धियम ला, अपने खुद के इज्जत, धरम-करम ला, घुरवा धकेले ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
(करखा दंडक छंद)
काला कहिबे, का अउ कइसे कहिबे, आघू आके, चिन्हउ कहाये ।
येही डर मा, आँखी-कान ल मूंदे, लोगन कहिथे, टोकब न भाये ।।
भले खपत हे, मनखे चारों कोती, बेजा कब्जा, मनभर सकेले ।
नियम-धियम ला, अपने खुद के इज्जत, धरम-करम ला, घुरवा धकेले ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
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