कहमुकरिया  (कहमुकरिया एक छंद होथे, जेमा 16, 16 मात्रा के चार चरण होथे, ये एक अइसन विधा आय जेमा एक सहेली अपन प्रियतम के वर्णन करथे अउ अपन सखी ले पूछथे, जब ओखर सखी हा, उत्तर मा साजन कहिथे तो ओ हा मुकर जाथे अउ आने उत्तर बता देथे, ये विधा मा रचनाकार अउ पाठक के बीच एक जनउला हो जथे)  1.   रहिथे दिन रात संग मोरे,  गोठ बात मा राखे बोरे ।  संग ओखरे करथव स्माइल ।  का सखि ?   साजन !    ना सखि मोबाइल ।।   2.   मोर अकेल्ला के संगी हे,  ज्ञान जेखरे सतरंगी हे ।  जेखर आघू मैं नतमस्तक ।  का सखि ?   साजन !    ना सखि पुस्तक ।     
माँ, मिट्टी और मेहनत : रामेश्वर शर्मा की रचनाएँ
 - 
ग़ज़ल जो जनहित में सृजन हो बस वही पुरनूर होता हैसृजक का लेख हो या गीत वह 
मशहूर होता है हक़ीक़त में अगर तुम प्यार करते हो सुनों यारोंजो दिल में प्यार 
बस जाए न फ...
1 दिन पहले
