तोर-मोर माया घोर हे, न ओर हे ना छोर ।
तोर ह तो तोरे हवय, अउ मोरे हा मोर ।।
कोनो ला माने अपन, हो जाही ओ तोर।
घर के खपरा ला घला, कहिथस तैं हा मोर ।।
मोर कहे मा मोर हे, तोर कहे मा तोर।
मया मोर मा हे घुरे, तोर कहे ला छोर।।
ना जान न पहिचान हे, तब तक तैं अनजान।
माने तैं ओला अपन, होगे तोर परान ।।
माने मा पथरा घला, हवय देवता तोर ।
लकड़ी के खम्भा घला, हवय देवता मोर ।।
मन के माने मान ले, माने मा सब तोर ।
तोर-मोर ला छोड़ के, कहि ना सब ला मोर ।।
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