धरे कलम गुनत हंव का लिखंव
लइकामन बर संस्कार के गीत लिखंव,
कचरा बिनईया लइकामन के चित्र खिचंव ।
कोनो कोनो लइका विडि़यो गेम खेलय,
कोनो कोनो लइका ठेला पेलय ।
कोनो कोनो कतका महंगा स्कूल म पढ़य,
कोनो कोनो बचपन म जवानी ल गढ़य ।
कोखरो कोखरो के संस्कार ल,
ददा दाई मन दे हे बिगाड़।
कोखरो कोखरो ददा दाई मन,
भीड़ा दे हे जिये के जुगाड़ ।
बड़ आंगाभारू लइकामन के संसार
ऐमा मै नई सकंव,
धरे कलम गुनत हंव अब का लिखंव ।
धरे कलम गुनत हंव का लिखंव
लिखथे सब मया मिरीत के बोल,
रखदंव महू अपन हिरदय ल खोल ।
करेन बिहाव तब ले मया करे ल जानेन,
ददा दाई कहिदेइस तेने ल अपन मानेन ।
अब तो बर न बिहाव देखावत हे दिल के ताव,
बाबू मन रंग रूप ल त नोनी मन धन दोगानी ल
देवत हे कइसन के भाव ।
जेन भाग के करे बिवाह तेखर मन के दशा ल विचार,
न ददा के न दाई के घिरर घिरर के जिये बर लाचार ।
बड़ आंगाभारू हे मया पिरित के संसार
ऐमा मै नई सकंव,
धरे कलम गुनत हंव अब का लिखंव ।
धरे कलम गुनत हंव का लिखंव
कतको झन लिखत हे नेतागिरी म व्यंग,
महू लिखतेव सोच के रहिगेव दंग ।
ऐ नेतामन कोन ऐ करिया अक्षर भईंस बरोबर,
जम्मो झन एके तरिया के चिखला ले हे सरोबर ।
चिनहावत नईये कोन काखर कोन काखर,
जम्मो झन दिखथें एक दूसर ले आगर ।
बड़ भोरहा हे ऐमा के रेंगई,
मै लगत हव बछरू लेवई ।
बड़ अंधियारी नेतागिरी के संसार
ऐमा मै नई सकंव,
धरे कलम गुनत हंव अब का लिखंव ।
धरे कलम गुनत हंव का लिखंव
देश भक्ति के गीत लिख के कतका झन होगे अमर,
महू गा लेतेंव अपन देश के दुश्मन संग हमर समर ।
देश के भीतर म आतंकवादी नक्सलवादीमन के हे भरमार,
कोनो मेरा कोनो ला मार देथे गम नई पावय सरकार ।
सीमा म चीन अऊ पाकीस्तान कइसे खड़े हे छाती तान,
सैनिक मन के घेंच ल उतारत हे नइये कोनो ल भान ।
जम्मोझन सुते हे देखत हे सपना,
हमर काम ल कोनो करही हमला का करना ।
बड़ा विचित्र हे हमार देश प्रेम दुलार
ऐमा मै नई सकंव,
धरे कलम गुनत हंव अब का लिखंव ।
धरे कलम गुनत हंव का लिखंव
लिखे के मोला काबर हे धुन सवार,
करत हव मै हर ऐमा तो अब विचार ।
तुलसी मीरा सूर कबीरा दादू नानक,
लिखिन साखी भक्ति पद मानस ।
कतको बड़े बड़े हवय अभो कलमकार,
जेखर कलम देवत सुघ्घर आकार ।
अइसन सूरजमन के आघू म जुगुनू नई बन सकंव,
धरे कलम गुनत हंव का लिखंव ।।
लइकामन बर संस्कार के गीत लिखंव,
कचरा बिनईया लइकामन के चित्र खिचंव ।
कोनो कोनो लइका विडि़यो गेम खेलय,
कोनो कोनो लइका ठेला पेलय ।
कोनो कोनो कतका महंगा स्कूल म पढ़य,
कोनो कोनो बचपन म जवानी ल गढ़य ।
कोखरो कोखरो के संस्कार ल,
ददा दाई मन दे हे बिगाड़।
कोखरो कोखरो ददा दाई मन,
भीड़ा दे हे जिये के जुगाड़ ।
बड़ आंगाभारू लइकामन के संसार
ऐमा मै नई सकंव,
धरे कलम गुनत हंव अब का लिखंव ।
धरे कलम गुनत हंव का लिखंव
लिखथे सब मया मिरीत के बोल,
रखदंव महू अपन हिरदय ल खोल ।
करेन बिहाव तब ले मया करे ल जानेन,
ददा दाई कहिदेइस तेने ल अपन मानेन ।
अब तो बर न बिहाव देखावत हे दिल के ताव,
बाबू मन रंग रूप ल त नोनी मन धन दोगानी ल
देवत हे कइसन के भाव ।
जेन भाग के करे बिवाह तेखर मन के दशा ल विचार,
न ददा के न दाई के घिरर घिरर के जिये बर लाचार ।
बड़ आंगाभारू हे मया पिरित के संसार
ऐमा मै नई सकंव,
धरे कलम गुनत हंव अब का लिखंव ।
धरे कलम गुनत हंव का लिखंव
कतको झन लिखत हे नेतागिरी म व्यंग,
महू लिखतेव सोच के रहिगेव दंग ।
ऐ नेतामन कोन ऐ करिया अक्षर भईंस बरोबर,
जम्मो झन एके तरिया के चिखला ले हे सरोबर ।
चिनहावत नईये कोन काखर कोन काखर,
जम्मो झन दिखथें एक दूसर ले आगर ।
बड़ भोरहा हे ऐमा के रेंगई,
मै लगत हव बछरू लेवई ।
बड़ अंधियारी नेतागिरी के संसार
ऐमा मै नई सकंव,
धरे कलम गुनत हंव अब का लिखंव ।
धरे कलम गुनत हंव का लिखंव
देश भक्ति के गीत लिख के कतका झन होगे अमर,
महू गा लेतेंव अपन देश के दुश्मन संग हमर समर ।
देश के भीतर म आतंकवादी नक्सलवादीमन के हे भरमार,
कोनो मेरा कोनो ला मार देथे गम नई पावय सरकार ।
सीमा म चीन अऊ पाकीस्तान कइसे खड़े हे छाती तान,
सैनिक मन के घेंच ल उतारत हे नइये कोनो ल भान ।
जम्मोझन सुते हे देखत हे सपना,
हमर काम ल कोनो करही हमला का करना ।
बड़ा विचित्र हे हमार देश प्रेम दुलार
ऐमा मै नई सकंव,
धरे कलम गुनत हंव अब का लिखंव ।
धरे कलम गुनत हंव का लिखंव
लिखे के मोला काबर हे धुन सवार,
करत हव मै हर ऐमा तो अब विचार ।
तुलसी मीरा सूर कबीरा दादू नानक,
लिखिन साखी भक्ति पद मानस ।
कतको बड़े बड़े हवय अभो कलमकार,
जेखर कलम देवत सुघ्घर आकार ।
अइसन सूरजमन के आघू म जुगुनू नई बन सकंव,
धरे कलम गुनत हंव का लिखंव ।।
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