हरेली के गाड़ा गाड़ा बधाई -
लइका सियान जुरमिल के खुशी मनाव हरेली हे आज ।
अब आही राखी तिजा पोरा अऊ जम्मो तिहार हो गे अगाज ।
चलव संगी धो आईय नागर कुदरा अऊ जम्मो औजार ।
बोवईय झर गे निदईय झर गे झर गे बिआसी के काज ।
हमर खेती बर देवता सरीखे नागर गैती हसिया,
इखर पूजा पाठ करके चढ़ाबो चिला रोटी के ताज ।
लिम के डारा ले पहटिया करत हे घर के सिंगार ।
लोहार बाबू खिला ले बनावत हे मुहाटी के साज ।।
ढाकत हे मुड़ी ल मछरी जाली ले गांव के मल्लार ।
ये छत्तीसगढ़ म हर तिहार के हे छत्तीस अंदाज ।।
बारी बखरी दिखय हरियर, हरियर दिखय खेत खार ।
चारो कोती हरियर देख के हमरो मन हरियर हे आज ।।
तरूवा के पानी गोड़इचा म आगे आज ।
माटी के सोंधी सोंधी महक के इही हे राज ।
गांव के अली गली म ईखला चिखला ।
चलव सजाबो गेडी के सुघ्घर साज ।।
जम्मो लइका जवान मचलहीं अब तो ,
बजा बजा के गेड़ी के चर चर आवाज ।।
चलो संगी खेली गेड़ी दउड अऊ खेली नरियर फेक,
जुर मिल के खेली मन रख के हरियर हरियर आज ।
................‘‘रमेश‘‘...........
लइका सियान जुरमिल के खुशी मनाव हरेली हे आज ।
अब आही राखी तिजा पोरा अऊ जम्मो तिहार हो गे अगाज ।
चलव संगी धो आईय नागर कुदरा अऊ जम्मो औजार ।
बोवईय झर गे निदईय झर गे झर गे बिआसी के काज ।
हमर खेती बर देवता सरीखे नागर गैती हसिया,
इखर पूजा पाठ करके चढ़ाबो चिला रोटी के ताज ।
लिम के डारा ले पहटिया करत हे घर के सिंगार ।
लोहार बाबू खिला ले बनावत हे मुहाटी के साज ।।
ढाकत हे मुड़ी ल मछरी जाली ले गांव के मल्लार ।
ये छत्तीसगढ़ म हर तिहार के हे छत्तीस अंदाज ।।
बारी बखरी दिखय हरियर, हरियर दिखय खेत खार ।
चारो कोती हरियर देख के हमरो मन हरियर हे आज ।।
तरूवा के पानी गोड़इचा म आगे आज ।
माटी के सोंधी सोंधी महक के इही हे राज ।
गांव के अली गली म ईखला चिखला ।
चलव सजाबो गेडी के सुघ्घर साज ।।
जम्मो लइका जवान मचलहीं अब तो ,
बजा बजा के गेड़ी के चर चर आवाज ।।
चलो संगी खेली गेड़ी दउड अऊ खेली नरियर फेक,
जुर मिल के खेली मन रख के हरियर हरियर आज ।
................‘‘रमेश‘‘...........
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