कहमुकरिया (कहमुकरिया एक छंद होथे, जेमा 16, 16 मात्रा के चार चरण होथे, ये एक अइसन विधा आय जेमा एक सहेली अपन प्रियतम के वर्णन करथे अउ अपन सखी ले पूछथे, जब ओखर सखी हा, उत्तर मा साजन कहिथे तो ओ हा मुकर जाथे अउ आने उत्तर बता देथे, ये विधा मा रचनाकार अउ पाठक के बीच एक जनउला हो जथे) 1. रहिथे दिन रात संग मोरे, गोठ बात मा राखे बोरे । संग ओखरे करथव स्माइल । का सखि ? साजन ! ना सखि मोबाइल ।। 2. मोर अकेल्ला के संगी हे, ज्ञान जेखरे सतरंगी हे । जेखर आघू मैं नतमस्तक । का सखि ? साजन ! ना सखि पुस्तक ।
बाल कविता – नन्ही सी दुनिया बसाये (भाग-4)- सुधा वर्मा
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भोलेपल और मासूमियत से भरा होता है। वह बोलना सीखता है। वाक्य बनाना सीखता
है। कुछ कल्पनायें करता है । फिर उस कल्पना को साकार करना चाहता है। कभी कभी
यह कल्पन...
1 दिन पहले