नवा नवा तो जोश, देख हे लइका मन के ।
भरना मुठ्ठी विश्व, ठान ले हे बन ठन के ।।
धर के अंतरजाल, करे हें माथा पच्ची ।
एक काम दिन रात, करे सब बच्चा बच्ची ।।
मोबाईल कम्प्यूटर युग, परे रात दिन फेर मा ।
पल मा बादर ला अमरथे, सुते सुते ओ ढेर मा ।।
होय नफा नुकसान, काम तै कोनो कर ले ।
करे यंत्र ला दास, फायदा झोली भर ले ।।
बने कहूं तै दास, अपन माथा ला धुनबे ।
आज नही ता काल, गोठ मोरे तै गुनबे ।।
अकलमंद खुद ला मान के, करथस तै तो काम रे ।
अड़हा नइये दाई ददा, खरा सोन हे जान रे ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
भरना मुठ्ठी विश्व, ठान ले हे बन ठन के ।।
धर के अंतरजाल, करे हें माथा पच्ची ।
एक काम दिन रात, करे सब बच्चा बच्ची ।।
मोबाईल कम्प्यूटर युग, परे रात दिन फेर मा ।
पल मा बादर ला अमरथे, सुते सुते ओ ढेर मा ।।
होय नफा नुकसान, काम तै कोनो कर ले ।
करे यंत्र ला दास, फायदा झोली भर ले ।।
बने कहूं तै दास, अपन माथा ला धुनबे ।
आज नही ता काल, गोठ मोरे तै गुनबे ।।
अकलमंद खुद ला मान के, करथस तै तो काम रे ।
अड़हा नइये दाई ददा, खरा सोन हे जान रे ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें