नायक
सरर-सरर डोलत हवय, तोर ओढ़नी छोर ।
संग केष मुॅह ढाक के, रूप निखारे तोर ।।
नायिका
झुलुप उड़े जब तोर गा, मन हरियावय मोर ।
चमक सुरूज कस हे दिखय, मुखड़ा के तो तोर ।।
नायक
गरहन लागय ना तोर मुॅह, चकचक ले अंजोर ।
चंदा कामा पूरही, अइसन मुखड़ा तोर ।
नायिका
गज भर छाती तोर हे, लंबा लंबा बाह ।
झूला झूलत मैं कभू, कहां पायेंव थाह ।।
नायक
कारी चुन्दी के घटा, छाये हे घनघोर ।
भीतर मैं धंधाय हॅव, निकलव कोने कोर ।।
नायिका
बोली तोरे मोहनी, राखे मोला घोर ।
जांव भला मैं कोन विधि, संगे तोरे छोर ।
नायक
छोड़ जगत के बंधना, बांध मया के गांठ ।
जनम जनम के मेल कर, खाई ला दी पाट ।।
नायिका
हवे अगोरा रे धनी, कब लाबे बारात ।
आके तोरे अंगना, करॅव मया बरसात ।।
सरर-सरर डोलत हवय, तोर ओढ़नी छोर ।
संग केष मुॅह ढाक के, रूप निखारे तोर ।।
नायिका
झुलुप उड़े जब तोर गा, मन हरियावय मोर ।
चमक सुरूज कस हे दिखय, मुखड़ा के तो तोर ।।
नायक
गरहन लागय ना तोर मुॅह, चकचक ले अंजोर ।
चंदा कामा पूरही, अइसन मुखड़ा तोर ।
नायिका
गज भर छाती तोर हे, लंबा लंबा बाह ।
झूला झूलत मैं कभू, कहां पायेंव थाह ।।
नायक
कारी चुन्दी के घटा, छाये हे घनघोर ।
भीतर मैं धंधाय हॅव, निकलव कोने कोर ।।
नायिका
बोली तोरे मोहनी, राखे मोला घोर ।
जांव भला मैं कोन विधि, संगे तोरे छोर ।
नायक
छोड़ जगत के बंधना, बांध मया के गांठ ।
जनम जनम के मेल कर, खाई ला दी पाट ।।
नायिका
हवे अगोरा रे धनी, कब लाबे बारात ।
आके तोरे अंगना, करॅव मया बरसात ।।
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