दू पइसा मा मँहगा होगे, गउ माता हा आज ।
कुकरी-कुकरा संग बोकरा, करत हवय अब राज ।
कुण्डलियाँ
घुरवा अउ कोठार बर, परिया राखँय छेक ।
अब घर बनगे हे इहाँ, थोकिन जाके देख ।।
थोकिन जाके देख, खेत होगे चरिया-परिया ।
बचे कहाँ हे गाँव, बने अस एको तरिया ।।
ना कोठा ना गाय, दूध ना एको चुरवा ।
पैरा बारय खेत, गाय ला फेकय घुरवा ।।
-रमेश चौहान
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें