मोटर गाड़ी के आए ले, घोड़ा दिखय न एक । मनखे केवल अपन बाढ़ ला, समझत हावे नेक ।। जोते-फांदे अब टेक्टर मा, नांगर गे नंदाय । बइला-भइसा कोन पोसही, काला गाय ह भाय ।। खातू-माटी अतका डारे, चिरई मन नंदात । खेत-खार मा महुरा डारे, अपने करे अघात ।। आघू हमला बढ़ना हावे, केवल धरे मशीन । मन मा अइसन सोच रहे ले, धरती जाही छीन ।। जीव एक दूसर के साथी, रचे हवय भगवान । मनखे एखर संरक्षक हे, सबले बड़े महान ।। बड़े मनन घुरवा होथे, कहिथे मनखे जात । झेल झपेटा जेने सहिथे, मांगय नही भात ।। अइसे कोनो रद्दा खोजव, जुरमिल रेंगी साथ । जीव पोसवा घर के बाचय, धर के हमरे हाथ ।।
“बाबा विश्वैश्वर नाथ की महिमा”-अर्जुन दूबे
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(उपरोक्तत आलेख मान्यता के आधार पर मेरे गांव के गाँव के ब्रह्मलीन बाबा
विश्वैश्वर नाथ के प्रति सम्मान सहित संस्मरण है।-प्रोफेसर अर्जुन दूबे) मैं
जिसकी महिमा...
3 हफ़्ते पहले