नवगीत
मोर गांव के धनहा-डोली,
बरखा ला फोन करे हे ।
तोर ठिठोली देखत-देखत,
छाती हा मोर जरे हे ।।
रोंवा-रोंवा पथरा होगे,
परवत होगे काया ।
पानी-माटी के तन हा मोरे
समझय कइसे माया
धान-पान के बाढ़त बिरवा,
मुरछा खाय परे हे
एको लोटा पानी भेजव,
मुँह म छिटा मारे बर
कोरा के लइका चिहरत हे,
येला पुचकारे बर
अब जिनगी के भार भरोसा
ऊपर तोर धरे हे
फूदक-फुदक के गाही गाना,
तोर दरस ला पाके
घेरी-घेरी माथ नवाही
तोर पाँव मा जाके
कतका दिन के बिसरे हावस
सुन्ना इहां परे हे ।
मोर गांव के धनहा-डोली,
बरखा ला फोन करे हे ।
तोर ठिठोली देखत-देखत,
छाती हा मोर जरे हे ।।
रोंवा-रोंवा पथरा होगे,
परवत होगे काया ।
पानी-माटी के तन हा मोरे
समझय कइसे माया
धान-पान के बाढ़त बिरवा,
मुरछा खाय परे हे
एको लोटा पानी भेजव,
मुँह म छिटा मारे बर
कोरा के लइका चिहरत हे,
येला पुचकारे बर
अब जिनगी के भार भरोसा
ऊपर तोर धरे हे
फूदक-फुदक के गाही गाना,
तोर दरस ला पाके
घेरी-घेरी माथ नवाही
तोर पाँव मा जाके
कतका दिन के बिसरे हावस
सुन्ना इहां परे हे ।
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