नवा सोच के नवा साल के बधाई (दुर्मिल सवैया) मनखे मनखे मन खोजत हे, दिन रात खुशी अपने मन के । कुछु कारण आवय तो अइसे, दुख मेटय जेन ह ये तन के । सब झंझट छोड़ मनावव गा, मिलके कुछु कांहि त...
छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह आपरेशन एक्के घॉंव भाग-3
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निठुर जोही गवना लेवावन आजा निठुर जोही गवना लेवावन आजा, निठुर जोही गवना
लेवावन आजा, पानी गिरत है रिमझिम रिमझिम, दिन बीतत है गिन गिन। दहकत है
अंगारा मन में, …
1 दिन पहले