आगी के अंगरा कस दहकत हे आसो के घाम, अब ए जीवरा ल, अब ए जीवरा ल कहां-कहां लुकान । झुलसत हे तन, अऊ तड़पत हे मन, बिजली खेलय आंख मिचोली अब कइसे करी जतन । बिन पानी के मछरी कस तड़पत हे बदन, पेट के खतीर कुछु न कुछु करे ल पड़ते काम ।। आगी के अंगरा कस ...... धरती के जम्मो पानी अटावत हे, जम्मो रूख राई के पाना ह लेसावत हे । लहक लहक लहकत हे गाय गरूवां अऊ कुकुर, चिरई चिरगुन बईठे अब कउन ठांव ।। आगी के अंगरा कस ........ अब तो महंगाई सुरसा कस मुंह ल बढ़ावत हे, ये महंगाई अइसन घाम ले घला जादा जनावत है। घिरर घिरर के खिचत हन ये जिनगी के गाड़ी, अब कहां मिलय हमन शांति सुकुन के छांव ।। आगी के अंगरा कस ........ ................रमेश..............................
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
23 घंटे पहले