सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

कतका झन देखे हें-

नोनी के दाई अभी

नोनी के दाई अभी, गे हे मइके गाॅंव । मोरे बारा हाल हे, कोने हाल बताॅंव ।। तीजा पोरा नेंग हा, अलहन लागे झार । चूल्हा चउका के बुता, देथे मोला मार ।। भड़वा बरतन मांज के, अपन आंसू बोहाॅव । नोनी के दाई अभी... कभू भात गिल्ला बनय, कभू जरय गा माढ़ । साग बनय ना तो कभू, झोरे लगय असाढ़ ।। अपने मन ला मार के, अदर-कचर मैं खाॅंव । नोनी के दाई अभी... बड़ सुन्ना घर-बार हे, चाबे भिथिया आज । अपने घर आने लागे, कहत आत हे लाज ।। सांय-सांय अंतस करय, मन ला कहां लगांव । नोनी के दाई अभी... कहूं होतीस मोर गा, कोनो बहिनी एक । तीजा हा मोला तभे, लागतीस गा नेक ।। बिन बहिनी के ये दरद, काला आज बताॅंव । नोनी के दाई अभी...

डहत हवे गा बेंदरा

डहत हवे गा बेंदरा, कूद कूद अतलंग । खपरा परवा छानही, दिखत हवय बदरंग ।। तरई आंजन छानही, खपरा गे सब फूट । लड़त हवे गा हूड़का, एक दूसर म टूट ।। मोठ डाठ हे ओ दिखत, कतका दिखत मतंग । डहत हवे गा बेंदरा... बारी बखरी मैदान हे, खेले जिहां घुलंड । दरबर दरबर आय के, बने हवें बरबंड ।। देखव ईंखर काम हा, लगत हवे बड़बंग । डहत हवे गा बेंदरा... (बरबंड-पहलवान, बडबंग-बेढंगा) थक गे सब रखवार हा, इहां बेंदरा भगात । चारे दिन के चांदनी, फेर कुलूपे रात ।। सोचय कुछु सरकार हा, कइसे बदलय ढंग । डहत हवे गा बेंदरा... जंगल झाड़ी काट के, मनखे करे कमाल । रहय कहां अब बेंदरा, अइसन हे जब हाल ।। छाती मा ओ कूद के, लड़त हवे ना जंग । डहत हवे गा बेंदरा...

तीजा पोरा आत हे

तीजा पोरा आत हे, आही नोनी मोर । घर अंगना हा नाचही, नाचही गली खोर ।। लइकापन मा खेल के, सगली भतली खेल । पुतरा पुतरी जोर के, करे रहिस ओ मेल ।। ओखर दीया चूकिया, राखे हंव मैं जोर । तीजा पोरा आत हे.... जुन्ना जुन्ना फ्राक अउ, ओखर पेन किताब । धरे संदूक हेर के, बइठे करंव हिसाब ।। आगू पाछू ओ करय, धर धोती के छोर । तीजा पोरा आत हे.... नार करेला बाढ़ के, होथे जस छतनार । कोरा के बेटी घलो, चल देथे ससुरार ।। होय करेजा हा सगा, कहे करेजा मोर । तीजा पोरा आत हे.... दुनिया के ये रीत मा, बंधे हे संसार । नाचत गावत तो रहंय, लइका सबो हमार ।। परब परब मा आय के, तृष्णा ला दैं टोर । तीजा पोरा आत हे....

बादर बैरी तैं कहां

बादर बैरी तैं कहां, मुॅह ला अपन लुकाय । कइसे तैं आसों भला, भादों मा तड़पाय ।। काबर तैं गुसिआय हस, आज कनेखी देख । उमड़-घुमड़ तैं आय के, रूके नही पल एक ।। भादों के ये भोमरा, बने जेठ भरमाय ।। बादर बैरी तैं कहां..... धनहा के छाती फटे, मुड़ धर रोय किसान । नरवा मन पटपर हवय,  अटके अधर म जान ।। पानी के हर बूंद हा, तोरे कोख समाय ।। बादर बैरी तैं कहां..... काबर बिट्टोवत हवस, पर तो जही दुकाल । काबर हमरे संग मा, खेले छू-छूवाल ।। तोर रिसाये ले जगत, हमला कोन बचाय । बादर बैरी तैं कहां..... सुन ले अब गोहार ला, गुस्सा अपनेे छोड़ । माफी मांगत हन हमन, अपन हाथ ला जोड़ ।। रद्-रद् पानी अब बरस, जड़-जीवन हरसाय । बादर बैरी तैं कहां.....

आजा माखन चोर

रद्दा जोहत हन हमन, आजा माखन चोर । तोर बिना बिलवा कहूं,  लगे न मन हा मोर ।। तोरे मूरत देख के, आंखी म आसुु आय। मोर-मुकुट मुड़ मा हवय, मुॅह बसरी हा भाय ।। सुन सुन लीला तोर तो, नाचे मनुवा मोर । रद्दा जोहत हन हमन... अपन भगत बर तैं करे, बाल-चरित ब्रजधाम । लइका सियान तोर तो, धरे मोहना नाम ।। तोरे सुरता रात दिन, करे करेजा षोर । रद्दा जोहत हन हमन... भेट करे के आस मा, मोर चलत हे सास । आज नही ता काल तैं, रखबे मोरे आस ।। तोर हाथ मा तो हवय, मोरे जीवन डोर ।। रद्दा जोहत हन हमन...

शिक्षक दिवस पर दोहे

होय एक शिक्षक इहां, हमर राष्‍ट्रपति देश्‍ा । अब्बड़ ज्ञानी ओ रहिस, सादा ओखर वेष्‍ा ।। राधा कृष्‍णन नाम के, सर्वपली पहिचान । ज्ञानी दर्शन श्‍ाास्त्र के, जानय मनोविज्ञान ।। शिक्षण विषय मा डूब के, देवय ओ हा ज्ञान । ऐही गुण ले पाय हे, कई कई सम्मान । आज ओखर जनम दिन, कोटि कोटि परनाम । शिक्षक मन ले प्रार्थना, करव बने गा का म ।।

जय हो दाई खमरछठ

जय हो दाई खमरछठ, महिमा तोर अपार । लइका मन बर दे असिस, करत हवन गोहार ।। तोरे सगरी पार मा, बइठे हाथे जोर । लइका के दाई सबो, पाव पखारत तोर ।। रखबे दाई लाज ला, बन के तैं रखवार ।। जय हो दाई खमरछठ .... तोर दया ले देवकी, पाय रहिस बलराम । उतरा पाये बेटवा, परीक्षीत हे नाम।।।। तोरे दर मा आय हन, हमरो कोख सवार ।। जय हो दाई खमरछठ....... नागर रेंगे ना जिहां, ऊंहे के ले धान । भाजी पाला खाय के, राखे हन हम मान ।। महुवा लाई अउ चना, जोरे हवन निमार ।। जय हो दाई खमरछठ ... दूध दही ल भईस के, भर के महुवा पान । फुड़हर फूले हाथ ले, करत हवन यशगान ।। भर दे हमरे पोतनी, दया मया तैं झार ।। जय हो दाई खमरछठ.... तोर दया के पोतनी, मारॅंव लइका पीठ । धन दौलत अउ यश मिलय, होय उमर के ढीठ ।। गोरस के ओ लाज ला, राखय बने समार । जय हो दाई खमरछठ.......

अइसन सुंदर तैं दिखे

जिंस पेंट फटकाय के, निकले जब तैं खोर । लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।। देख देख ये रेंगना, कउंवा करें न कांव । मुक्का होगे मंगसा, परे तोर जब छांव ।। करिया बादर छाय हे, चेथी मा तो तोर । नील कमल हा हे खिले, तोरे आंखी कोर ।। लाल फूल दसमत खिले, पा के तोरे ओट । नाजुक होगे गाल हा, केश करे जब चोट ।। दूनो भौ के बीच मा, चंदा आय लुकाय । सुरूज अपन ओे रोशनी, तोरे मुॅह ले पाय ।। अइसन सुंदर तैं दिखे, मिले नही उपमान । जेने उपमा ला धरॅंव, होथे तोरे अपमान ।।

मनखे मनखे बाट

1. जतका महिमा हे कहे, गुरू मन के सब वेद ।          एक्को लक्षण ना दिखय, आज होत हे खेद ।। 2. आत्म ज्ञान ला छोड़ के, अपने नाम रटाय ।          दान-मान ला पाय के, कोठी बड़े बनाय ।। 3. आत्म-ज्ञान काला कथे, हमला कोन बताय ।         कहां आत्म ज्ञानी हवय, हमला कोन लखाय ।। 4. ज्ञान हवे का ओखरे, जाने गा भगवान ।          बड़का ओखर ले कहां, जग मा हे धनवान ।। 5. अपन धरम ला काट के, गढ़े हवे नव पंथ ।         जेला चेला मन कहय, नवाचरण के कंथ ।। 6. जेन पेड़ के डार हे, जर ल ओखरे काट ।         संत घला कहावत हे, मनखे मनखे बाट।।

भादो महिना तोर तो

भादो महिना तोर तो, रहीस अगोेरा घात । सावन महिना भाग गे, हम सब ला तरसात ।। बरस तरस के आज तैं, देख सुखावत धान । धान-पान बिन आदमी, कइसे मारय शान ।। बिन पानी तो धान हा, लगे हवे अइलात ।। भादो महिना तोर तो..... कतका निंदा निंदबो, ओही ओही झार । मिलय नही बनिहार हा, कामचोर भरमार । अब तो तोरे आसरा, दिल मा हमन बसात । भादो महिना तोर तो...... सरवर-दरवर तैं बरस, बता अपन पहिचान । बरस झमा-झम आज तैं, बाढ़य तोरे मान । अतका पानी तैं बरस, नाचय सबो जमात । भादो महिना तोर तो.....

मोर दूसर ब्लॉग