भादो महिना तोर तो, रहीस अगोेरा घात ।
सावन महिना भाग गे, हम सब ला तरसात ।।
बरस तरस के आज तैं, देख सुखावत धान ।
धान-पान बिन आदमी, कइसे मारय शान ।।
बिन पानी तो धान हा, लगे हवे अइलात ।। भादो महिना तोर तो.....
कतका निंदा निंदबो, ओही ओही झार ।
मिलय नही बनिहार हा, कामचोर भरमार ।
अब तो तोरे आसरा, दिल मा हमन बसात । भादो महिना तोर तो......
सरवर-दरवर तैं बरस, बता अपन पहिचान ।
बरस झमा-झम आज तैं, बाढ़य तोरे मान ।
अतका पानी तैं बरस, नाचय सबो जमात । भादो महिना तोर तो.....
सावन महिना भाग गे, हम सब ला तरसात ।।
बरस तरस के आज तैं, देख सुखावत धान ।
धान-पान बिन आदमी, कइसे मारय शान ।।
बिन पानी तो धान हा, लगे हवे अइलात ।। भादो महिना तोर तो.....
कतका निंदा निंदबो, ओही ओही झार ।
मिलय नही बनिहार हा, कामचोर भरमार ।
अब तो तोरे आसरा, दिल मा हमन बसात । भादो महिना तोर तो......
सरवर-दरवर तैं बरस, बता अपन पहिचान ।
बरस झमा-झम आज तैं, बाढ़य तोरे मान ।
अतका पानी तैं बरस, नाचय सबो जमात । भादो महिना तोर तो.....
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