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कतका झन देखे हें-

गज़लबानी-गहूँ संग कीरा रमजाजथे

गज़लबानी तुकबंदी गहूँ संग कीरा रमजाजथे  गहूँ संग कीरा रमजाजथे । दूध मा पानी बेचाजथे । संगत के अइसन असर नून मा मिरचा खवाजथे । रेंगत रेंगत नेता संग चम्मच हा नेता कहाजथे । बइठे बइठे जुवा मेरा खेत खार बेचाजथे । धनिया लेना कोन जरूरी छुये मा हाथ ममहाजथे । गुलाब फूल टोरत टोरत काटा मा हाथ छेदाजथे । मया कहूं होय निरमल दिल दिल मा समाजथे । बड़े संग मिले बिरोपान छोटे संग नाक कटाजथे । तैं जान तोर काम जाने गोठ गोठ मा गोठ आजथे ।

चल रावण ला मारबो.

चल रावण ला मारबो, खोज खोज के आज । बाच जथे हर साल ओ, आवत हमला लाज ।। पुतला मा होतीस ता, रावण बर जातीस । घेरी घेरी हर बरस, फेर नई आतीस ।। बइठे हे ओ हर कहां, अपन सजाये साज । चल रावण ला मारबो.... कहां कहां हम खोजबो, का ओखर पहिचान । कोन बताही गा भला, कहां छुपाये जान ।। दस मुड़ दस अवगुण हवय, हवय अलग अंदाज । चल रावण ला मारबो... मरे राम के बाण ले, पाय राम ले सीख । जीव जीव मा वास कर, कोनो ला झन दीख ।। तोर मोर घट मा बसे, करत हवे ओ राज । चल रावण ला मारबो... दिखय नही अंतस अपन, हम करि कोन उपाय । पुतला ला अउ मारबो, ओही हमला भाय ।। आवन दे गा हर बरस, बेच खाय हे लाज । चल रावण ला मारबो...

चोर चोर ओ चोर हे

चोर चोर ओ चोर हे, परत हवे गोहार । वाटसाप अउ फेसबुक, ओखर हवे शिकार ।। एक डाड लिख ना सकय, कवि कहाय के साध । पढ़े लिखे वो चोर हा, करत हवे अपराध ।। शारद के परसाद के, करे ओ तिरस्कार । चोर चोर ओ चोर हे... सब अइसन ओ चोर ला, देवव दंड कठोर । खडे रहय बजार मा, ओ हर दांत निपोर ।। संगत ओखर छोड़ दव, मुख ला दै ओ टार । चोर चोर ओ चोर हे.. अतको मा मानय नही, कोरट रद्दा भेज । आखर के दुश्मन हवय, कइसे करि परहेज ।। नो हय हासे के बुता, लेवव काम सवार । चोर चोर ओ चोर हे....

होगे मोरे जीनगी

होगे मोरे जीनगी, कइसन ऊंच पहाड़ । सकला गे सब मास हा, बाचे केवल हाड़ ।। हाथ गोड़ होगे सगा, मोला तो बिसराय । मोरे आंखी मोर ले, आंखी अब चोराय ।। मन बैरी मानय नहीं, खड़े हवे जस ताड़ । होगे मोरे जीनगी... कुरिया खटिया टूटहा, रचे मोर संसार । भड़वा बरतन फूटहा, करिया करिया झार ।। मोर रंग मा रंग के, होगे सबो कबाड़ । होगे मोरे जीनगी.... नवा नवा समान हवे, जुन्ना के का काम । डारे जेला कोनहा, बेटा बहू तमाम ।। दोष कहां कुछु कोखरो, करथे सबो जुगाड । होगे मोरे जीनगी.. आंखी आंखी घूमथे, जुन्ना दिन हा मोर । रूप रंग के मोर तो, होवय कतका शोर ।। मोला देखे काम मा, समा जवय जब जाड़ । होगे मोरे जीनगी.. -रमेश चौहान

दे दाई कुछु खाय

बेटा- बासी दे के भात दे, दे दाई कुछु खाय । सांय सांय जी हा करय, कुछु ना तो भाय ।। दाई-  दाना दाना खोज के, लेहूं भात बनाय । बेटा थोकिन सांस ले, बासी घला सिराय ।। बेटा- ठोमा ठोमा मांग के, ठोमा ना पाऐंव । गे रहेंव आंसू धरे, आंसू धर आऐंव ।। दाई- पानी हे आंसू हमर, पथरा हे भगवान । निरधन के तैं छोकरा, का तोरे हे मान ।। बेटा- भूख प्यास जानय नही, काबर अइसन बात । भर जातीस पेट हमर, दुच्छा देखत जात ।। दाई- गरीबहा बन पाप ला, भोगे भर आयेंन । भूख प्यास के मार ला, खूबे हम खायेंन ।। -रमेश चौहान

मैं विनय करंव कर जोर

मैं विनय करंव कर जोर ओ, मोर मरकी माता, जस गावंव तोर मोर शितला ओ माता, जस गावंव तोर मोर गांव हरदी बजार के, लीम तरी तोरे डेरा बइगा बबा संग पुजारी, करत जिहां हे बसेरा संग मा सेवा बजावंव ओ, सरधा के छलके आंसू ले, तोरे पांव पखारंव अपन मन के सबो मनौती, तोरे चरण मढावंव फेर नरियर जस तन चढावंव ओ.... लइका बच्चा नर नारी सब, तोरे दुवारी आवंय अपन अपन हाथ जोर के, अपन दरद सुनावंय तोर दया ले सबो सुख पावंय ओ...

जतन करव बेटी के संगी जतन करव रे

जतन करव बेटी के संगी जतन करव रे जतन करव नोनी के संगी जतन करव रे मोर जतन करव रे ओ.. मोर जतन करव रे मैं नारी दुखयारी अंव नर नारी के जननी महतारी अंव महतारी अंव जतन करव रे...... पेट भीतर काबर कोनो नोनी बाबू जांचे नोनी नोनी ला मारे तैं बाबू बाबू हा बाचे तुहर करेजा बाबू के मैं हर सुवारी अंव जतन करव रे...... आधा दुनिया मोरो हे आधा अबादी कहाय पेट भीतर हमला मार के सृश्टि रचना डोलाय जगत रचना के मैं हर फूलवारी अंव जतन करव रे...... जनम दे के दुनिया मा मोला बेटा कस बढ़ावा दाई ददा के लाठी बनहू महूं ला खूब पढ़ावा ससुरे मइके मा सुख दुख के संगवारी अंव जतन करव रे......

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