मैं विनय करंव कर जोर ओ, मोर मरकी माता, जस गावंव तोर
मोर शितला ओ माता, जस गावंव तोर
मोर गांव हरदी बजार के, लीम तरी तोरे डेरा
बइगा बबा संग पुजारी, करत जिहां हे बसेरा
संग मा सेवा बजावंव ओ,
सरधा के छलके आंसू ले, तोरे पांव पखारंव
अपन मन के सबो मनौती, तोरे चरण मढावंव
फेर नरियर जस तन चढावंव ओ....
लइका बच्चा नर नारी सब, तोरे दुवारी आवंय
अपन अपन हाथ जोर के, अपन दरद सुनावंय
तोर दया ले सबो सुख पावंय ओ...
मोर शितला ओ माता, जस गावंव तोर
मोर गांव हरदी बजार के, लीम तरी तोरे डेरा
बइगा बबा संग पुजारी, करत जिहां हे बसेरा
संग मा सेवा बजावंव ओ,
सरधा के छलके आंसू ले, तोरे पांव पखारंव
अपन मन के सबो मनौती, तोरे चरण मढावंव
फेर नरियर जस तन चढावंव ओ....
लइका बच्चा नर नारी सब, तोरे दुवारी आवंय
अपन अपन हाथ जोर के, अपन दरद सुनावंय
तोर दया ले सबो सुख पावंय ओ...
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