सकला गे सब मास हा, बाचे केवल हाड़ ।।
हाथ गोड़ होगे सगा, मोला तो बिसराय ।
मोरे आंखी मोर ले, आंखी अब चोराय ।।
मन बैरी मानय नहीं, खड़े हवे जस ताड़ । होगे मोरे जीनगी...
कुरिया खटिया टूटहा, रचे मोर संसार ।
भड़वा बरतन फूटहा, करिया करिया झार ।।
मोर रंग मा रंग के, होगे सबो कबाड़ । होगे मोरे जीनगी....
नवा नवा समान हवे, जुन्ना के का काम ।
डारे जेला कोनहा, बेटा बहू तमाम ।।
दोष कहां कुछु कोखरो, करथे सबो जुगाड । होगे मोरे जीनगी..
आंखी आंखी घूमथे, जुन्ना दिन हा मोर ।
रूप रंग के मोर तो, होवय कतका शोर ।।
मोला देखे काम मा, समा जवय जब जाड़ । होगे मोरे जीनगी..
-रमेश चौहान
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