आंगा-भारू लागथे, हमरे देश समाज । समझ नई आवय कुछुच, का हे येखर राज ।। का हे येखर राज, भरे के अउ भरते हे । दुच्छा वाले आज, झरे ऊँपर झरते हे ।। सोचत हवे ‘रमेश‘, जगत हे गंगा बारू । माने मा हे देव, नहीं ता आंगा-भारू ।।
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
6 दिन पहले