अपन हाथ के मइल तो, नेता मन ला जान । नेता मन के खोट ला, अपने तैं हा मान ।। दोष निकालब कोखरो, सबले सस्ता काम । अपन दोष ला देखना, जग के दुश्कर काम ।। नियम-धियम कानून ला, गरीबहा बर तान । हाथ गोड़ ला बांध ले, दिखगय अब धनवान ।। दे हस सामाजिक भवन, जात-पात के नाम । वोट बैंक के छोड़ के, आही कोने काम ।। अपन मया दुलार भरे, धरे हँवव मैं रंग । तोर मया ला पाय बर, मन मा मोर उमंग ।। बोरे बासी छोड़ के, अदर-कचर तैं खात । दूध-दही छोड़ के, भठ्ठी कोती जात ।। आँखी आँखी के गोठ मा, आँखी के हे दोष । दोष करेजा के नही, तभो हरागे होश ।। मन मा कुछु जब ठानबे, तब तो होही काम । मन मा भुसभुस होय ले, मिलथे कहां मुकाम ।। सारी-सारा साढ़हू, आज सरग के धाम । कका-बड़ा परिवार ले, हमला कोने काम ।।
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
9 घंटे पहले