छत्तीस प्रकार सोच धरे
छत्तीस प्रकार के मनखे
छत्तीसगढ़ के संगे-संग
हमर देश मा रहिथे
जइसे कोनो फूल के माला मा
रिकिम-रिकिम के फूल
एक संग गुथाये होवय ।
हमर देश के छाती हा
घातेच चाकर हे
जेमा समा जाथे
आनी-बानी के
भाशा-बोली
अउ
आनी-बानी के
सोच वाले मनखे ।
फेर अभी-अभी
धुँवा आवत हे
आगी सुलगत हे
भीतर-बाहिर
अपन-बिरान
तोर-मोर
के कचरा मा
कोनो लुकी डार दे हे ।
दउड़व-दउड़व
अपन सोच-विचार के
हउला-डेचकी धर के
समता के पानी भर के
भभकत आगी ला
जल्दी ले बुतोवव ।
छत्तीस प्रकार के मनखे
छत्तीसगढ़ के संगे-संग
हमर देश मा रहिथे
जइसे कोनो फूल के माला मा
रिकिम-रिकिम के फूल
एक संग गुथाये होवय ।
हमर देश के छाती हा
घातेच चाकर हे
जेमा समा जाथे
आनी-बानी के
भाशा-बोली
अउ
आनी-बानी के
सोच वाले मनखे ।
फेर अभी-अभी
धुँवा आवत हे
आगी सुलगत हे
भीतर-बाहिर
अपन-बिरान
तोर-मोर
के कचरा मा
कोनो लुकी डार दे हे ।
दउड़व-दउड़व
अपन सोच-विचार के
हउला-डेचकी धर के
समता के पानी भर के
भभकत आगी ला
जल्दी ले बुतोवव ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें