अपन हाथ के मइल तो, नेता मन ला जान ।
नेता मन के खोट ला, अपने तैं हा मान ।।
दोष निकालब कोखरो, सबले सस्ता काम ।
अपन दोष ला देखना, जग के दुश्कर काम ।।
नियम-धियम कानून ला, गरीबहा बर तान ।
हाथ गोड़ ला बांध ले, दिखगय अब धनवान ।।
दे हस सामाजिक भवन, जात-पात के नाम ।
वोट बैंक के छोड़ के, आही कोने काम ।।
अपन मया दुलार भरे, धरे हँवव मैं रंग ।
तोर मया ला पाय बर, मन मा मोर उमंग ।।
बोरे बासी छोड़ के, अदर-कचर तैं खात ।
दूध-दही छोड़ के, भठ्ठी कोती जात ।।
आँखी आँखी के गोठ मा, आँखी के हे दोष ।
दोष करेजा के नही, तभो हरागे होश ।।
मन मा कुछु जब ठानबे, तब तो होही काम ।
मन मा भुसभुस होय ले, मिलथे कहां मुकाम ।।
सारी-सारा साढ़हू, आज सरग के धाम ।
कका-बड़ा परिवार ले, हमला कोने काम ।।
नेता मन के खोट ला, अपने तैं हा मान ।।
दोष निकालब कोखरो, सबले सस्ता काम ।
अपन दोष ला देखना, जग के दुश्कर काम ।।
नियम-धियम कानून ला, गरीबहा बर तान ।
हाथ गोड़ ला बांध ले, दिखगय अब धनवान ।।
दे हस सामाजिक भवन, जात-पात के नाम ।
वोट बैंक के छोड़ के, आही कोने काम ।।
अपन मया दुलार भरे, धरे हँवव मैं रंग ।
तोर मया ला पाय बर, मन मा मोर उमंग ।।
बोरे बासी छोड़ के, अदर-कचर तैं खात ।
दूध-दही छोड़ के, भठ्ठी कोती जात ।।
आँखी आँखी के गोठ मा, आँखी के हे दोष ।
दोष करेजा के नही, तभो हरागे होश ।।
मन मा कुछु जब ठानबे, तब तो होही काम ।
मन मा भुसभुस होय ले, मिलथे कहां मुकाम ।।
सारी-सारा साढ़हू, आज सरग के धाम ।
कका-बड़ा परिवार ले, हमला कोने काम ।।
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