रोजी-रोटी के प्रश्न के, मिलय न एक जवाब । भिखमंगा तो जान के, मुफत बांटथे जनाब ।। फोकट अउ ये छूट के, चलन करय सरकार । जेला देखव तेन हा, बोहावत हे लार । सिरतुन जेन गरीब हे, जानय ना कुछु एक । जेन बने धनवान हे, मजा करत हे नेक । काबर कोनो ना कहय, येला भ्रष्टाचार । जनता अउ सरकार के, लगथे एक विचार ।। हर सरकारी योजना, मंडल के रखवार । चिंता कहां गरीब के, मरजय धारे धार । फोकट बांटे छोड़ के, केवल देवय काम । काम बुता हर हाथ मा, मनखे सुखी तमाम । लोकतंत्र के देवता, माने खुद ला आन । चढ़े चढ़ावा देख के, बने रहय अनजान ।। -रमेशचौहान
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले