ये गाँव ए भल ठाँव ए, इंसानियत पलथे जिहां।
हर राग मा अउ गीत मा, स्वर प्रेम के मिलथे इहां ।।
हे आदमी बर आदमी, धर हाथ ला सब संग मा ।
मनखे जियत तो हे जिहां, मिलके धरा के रंग मा ।
संतोष के अउ धैर्य के, ये पाठशाला आय गा ।
मन शांति के तन कांति के, रुखवा जिहां लहराय गा ।।
पइसा भले ना हाथ मा, जिनगी तभो धनवान हे ।
खेती किसानी के बुते, हर आदमी भगवान हे ।।
हर राग मा अउ गीत मा, स्वर प्रेम के मिलथे इहां ।।
हे आदमी बर आदमी, धर हाथ ला सब संग मा ।
मनखे जियत तो हे जिहां, मिलके धरा के रंग मा ।
संतोष के अउ धैर्य के, ये पाठशाला आय गा ।
मन शांति के तन कांति के, रुखवा जिहां लहराय गा ।।
पइसा भले ना हाथ मा, जिनगी तभो धनवान हे ।
खेती किसानी के बुते, हर आदमी भगवान हे ।।
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