चित्र गुगल से साभार कका-काकी दाई-ददा, भाई-भौजी बड़े दाई, आनी-बानी फूल बानी, घर ला सजाय हे । धनिया मिरचा, संग पताल के हे चटनी दार-भात संग साग, कौरा तो कहाय हे।। संग-संग मिलजुल, दुख-सुख बांट-बांट परिवार नाम धर, संघरा कमाय हे। मिले-जुले परिवार, गांव-गांव देख-देख, अनेकता मा एकता, देश मा कहाय हे।। -रमेश चौहान
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
5 दिन पहले