काल रहिस आजो हवय, बात-बात मा भेद ।
चलनी एके एक हे, भले हवय कुछ छेद ।।
मइल कहाथे हाथ के, पइसा जेखर नाम ।
ज्ञान लगन के खेल ले, करे हाथ हा काम ।।
काम-बुता पहिचान हे, अउ जीवन के नाम ।
करम नाम ले धरम ये, मानवता के काम ।।
छत्तीसगढ़ी दिन भर बोले, घर संगी के संग ।
फेर पढ़े बर तैं हर ऐला, होथस काबर जंग ।।
माँ-बापे ला मार के, जेने करे बिहाव ।
कतका कोने हे सुखी, थोकिन करव हियाव ।।
बिना निमारे दाई पाये, बिना निमारे बाप ।
जावर-जीयर छांट निमारे, तभो दुखी हव आप ।
सुरता ओखर मैंं करँव, जेन रहय ना तीर ।
तोर मया दिल मा बसय, काबर होय अधीर ।।
नेता फूल गुलाब के, चमचा कांटा झार ।
बिना चढ़े तो निशयनी, पहुँचे का दरबार ।।
मोरे देह कुरूप हे, कहिथे कोन कुरूप ।
अपन खदर के छाँव ला, कहिथे कोने धूप ।।
कहिथे कोने धूप, अपन जेने ला माने ।
अपन सबो संस्कार, फेर घटिया वो जाने ।।
अपने पुरखा गोठ, कोन रखथे मन घोरे ।
अपन ददा के धर्म, कोन कहिथे ये मोरे ।।
केवल एक मयान अउ, दूठन तो तलवार हे ।
हमर नगर के हाल के, नेता खेवनहार हे ।।
नेता फूल गुलाब के, चमचा कांटा झार ।
बिना चढ़े तो निशयनी, पहुँचे का दरबार ।।
चलनी एके एक हे, भले हवय कुछ छेद ।।
मइल कहाथे हाथ के, पइसा जेखर नाम ।
ज्ञान लगन के खेल ले, करे हाथ हा काम ।।
काम-बुता पहिचान हे, अउ जीवन के नाम ।
करम नाम ले धरम ये, मानवता के काम ।।
छत्तीसगढ़ी दिन भर बोले, घर संगी के संग ।
फेर पढ़े बर तैं हर ऐला, होथस काबर जंग ।।
माँ-बापे ला मार के, जेने करे बिहाव ।
कतका कोने हे सुखी, थोकिन करव हियाव ।।
बिना निमारे दाई पाये, बिना निमारे बाप ।
जावर-जीयर छांट निमारे, तभो दुखी हव आप ।
सुरता ओखर मैंं करँव, जेन रहय ना तीर ।
तोर मया दिल मा बसय, काबर होय अधीर ।।
नेता फूल गुलाब के, चमचा कांटा झार ।
बिना चढ़े तो निशयनी, पहुँचे का दरबार ।।
मोरे देह कुरूप हे, कहिथे कोन कुरूप ।
अपन खदर के छाँव ला, कहिथे कोने धूप ।।
कहिथे कोने धूप, अपन जेने ला माने ।
अपन सबो संस्कार, फेर घटिया वो जाने ।।
अपने पुरखा गोठ, कोन रखथे मन घोरे ।
अपन ददा के धर्म, कोन कहिथे ये मोरे ।।
केवल एक मयान अउ, दूठन तो तलवार हे ।
हमर नगर के हाल के, नेता खेवनहार हे ।।
नेता फूल गुलाब के, चमचा कांटा झार ।
बिना चढ़े तो निशयनी, पहुँचे का दरबार ।।
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