चित्र गुगल से साभार
कका-काकी दाई-ददा, भाई-भौजी बड़े दाई,
आनी-बानी फूल बानी, घर ला सजाय हे ।
धनिया मिरचा, संग पताल के हे चटनी
दार-भात संग साग, कौरा तो कहाय हे।।
संग-संग मिलजुल, दुख-सुख बांट-बांट
परिवार नाम धर, संघरा कमाय हे।
मिले-जुले परिवार, गांव-गांव देख-देख,
अनेकता मा एकता, देश मा कहाय हे।।
-रमेश चौहान
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