भला-बुरा तै सोच के, करले अपने काम । बिगड़य झन कुछु कोखरो, कुछ मत मिले हराम ।। कुछ मत मिले हराम, कमा ले जांगर टोरे । दूसर के कुछु दोस, ताक मत आंखी बोरे ।। अपने अंदर झांक, नेकि के हवस खुरा तै । करले सुघ्घर काम, सोच के भला-बुरा तै ।।
जनसंवेदना और हौसले का कवि – भगवती लाल सेन-डुमन लाल ध्रुव
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छत्तीसगढ़ की धरती ने अनेक साहित्यकारों को जन्म दिया जिन्होंने अपनी लेखनी से
जनमानस को न सिर्फ स्वर दिया बल्कि उनके संघर्षों को भी साहित्य के पन्नों पर
अमर ...
16 घंटे पहले