ये गोरी मोरे, मुखड़ा तोरे, चंदा बानी, दमकत हे । जस फुलवा गुलाब, तन के रूआब, चारो कोती, गमकत हे ।। जब रेंगे बनके, तै हर मनके, गोड़ म पैरी, छनकत हे । सुन कोयल बोली, ये हमलोली, मोरे मनवा, बहकत हे ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान
समृद्ध बस्तर, शोषित बस्तर- श्रीमती शकुंतला तरार
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श्रीमती शकुंतला तरार,एक ऐसी कवयित्री जो बस्तर में जन्मीं और बस्तर को ही
अपनी कलम का केन्द्र बनाया।सोचिए — जिस धरती पर जन्म हुआ, उसी पर इतनी गहराई
से लिखा क...
1 दिन पहले