ये गोरी मोरे, मुखड़ा तोरे, चंदा बानी, दमकत हे ।
जस फुलवा गुलाब, तन के रूआब, चारो कोती, गमकत हे ।।
जब रेंगे बनके, तै हर मनके, गोड़ म पैरी, छनकत हे ।
सुन कोयल बोली, ये हमलोली, मोरे मनवा, बहकत हे ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
जस फुलवा गुलाब, तन के रूआब, चारो कोती, गमकत हे ।।
जब रेंगे बनके, तै हर मनके, गोड़ म पैरी, छनकत हे ।
सुन कोयल बोली, ये हमलोली, मोरे मनवा, बहकत हे ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
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