जस भेडि़या धसान, धसे मनखे काबर हे ।
छेके परिया गांव, जीव ले तो जांगर हे ।।
नदिया नरवा छेक, करे तै अपने वासा ।
बचे नही गऊठान, वाह रे तोर तमाशा ।
रद्दा गाड़ी रवन, कोलकी होत जात हे ।
अइसन तोरे काम, कोन ला आज भात हे ।।
रोके तोला जेन, ओखरे बर तै दतगे ।
मनखे मनखे कहय, वाह रे तै तो मनखे ।।
दे दूसर ला दोष, दोष अपने दिखय नही ।
दिखय कहूं ता देख, तहूं हस ग दूसर सही ।।
धरम करम के मान, लगे अब पथरा जइसे ।
पथरा के भगवान, देख मनखे हे कइसे ।
छेके परिया गांव, जीव ले तो जांगर हे ।।
नदिया नरवा छेक, करे तै अपने वासा ।
बचे नही गऊठान, वाह रे तोर तमाशा ।
रद्दा गाड़ी रवन, कोलकी होत जात हे ।
अइसन तोरे काम, कोन ला आज भात हे ।।
रोके तोला जेन, ओखरे बर तै दतगे ।
मनखे मनखे कहय, वाह रे तै तो मनखे ।।
दे दूसर ला दोष, दोष अपने दिखय नही ।
दिखय कहूं ता देख, तहूं हस ग दूसर सही ।।
धरम करम के मान, लगे अब पथरा जइसे ।
पथरा के भगवान, देख मनखे हे कइसे ।
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआदरणीय कैलासजी इस प्रोत्साहन के लिये सादर आभार
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