समय हृदय के साफ, दुवाभेदी ना जानय ।
चाल-ढाल रख एक, सबो ला एके मानय ।
पानी रहय न लोट, कमल पतरी मा जइसे ।
ओला होय न भान, हवय सुख-दुख हा कइसे ।
ओही बेरा एक, जनम कोनो तो लेथे ।
मरके कोनो एक, सगा ला पीरा देथे ।।
अपन करम के भोग, भोगथे मनखे मनखे ।
कोनो बइठे रोय, हाँसथे कोनो तनके ।।
चाल-ढाल रख एक, सबो ला एके मानय ।
पानी रहय न लोट, कमल पतरी मा जइसे ।
ओला होय न भान, हवय सुख-दुख हा कइसे ।
ओही बेरा एक, जनम कोनो तो लेथे ।
मरके कोनो एक, सगा ला पीरा देथे ।।
अपन करम के भोग, भोगथे मनखे मनखे ।
कोनो बइठे रोय, हाँसथे कोनो तनके ।।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें