जय मां भवानी आदि माता, तैं जगत के रचइया ।
सब जीव अउ, निरजीव के, मइया तहीं, हस बसइया ।।
कण-कण रचे, जन-मन बसे, तोरे मया, परकाश्ा ओ ।
तोरे दुवारी हम खड़े, हन धर हृदय, विश्वास ओ ।
करथस मया सब बर बराबर, मान तैं संतान ओ ।
अवगुण धरे ना तैं हमर, नादान हमला जान ओ ।।
सद्बुद्धि अउ सुविचार के, तैं बाटथस परसाद ओ ।
झोली खुश्ाी भर के हमर, तैं मेटथस अवसाद ओ ।।
गोहार सुन अपने भगत के, श्ोर मा चढ़ आय ओ ।
बनके कभू दुर्गा कभू काली, भगत हष्र्ााय ओ ।।
मारे धरा के सब दुष्ट ला, सद्पुण्य ला बिलगाय ओ ।
राखे धरम के लाज ला, अपने धजा लहराय ओ ।
सब जीव अउ, निरजीव के, मइया तहीं, हस बसइया ।।
कण-कण रचे, जन-मन बसे, तोरे मया, परकाश्ा ओ ।
तोरे दुवारी हम खड़े, हन धर हृदय, विश्वास ओ ।
करथस मया सब बर बराबर, मान तैं संतान ओ ।
अवगुण धरे ना तैं हमर, नादान हमला जान ओ ।।
सद्बुद्धि अउ सुविचार के, तैं बाटथस परसाद ओ ।
झोली खुश्ाी भर के हमर, तैं मेटथस अवसाद ओ ।।
गोहार सुन अपने भगत के, श्ोर मा चढ़ आय ओ ।
बनके कभू दुर्गा कभू काली, भगत हष्र्ााय ओ ।।
मारे धरा के सब दुष्ट ला, सद्पुण्य ला बिलगाय ओ ।
राखे धरम के लाज ला, अपने धजा लहराय ओ ।
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