गुरु घासी दास बाबा, सत के अलख जगायें ये धाम म । सत के अलख जगायें ये धाम म ...2 सादा तोर खम्भा बाबा, सादा तोर धजा , सादा तोर धजा बाबा, सादा तोर धजा, सत के धजा फहरायें ये धाम म । मनखे मनखे एक होथे, मनखे ल बतायें मनखे ल बतायें बाबा, मनखे ल बतायें मनखे मन के छुवाछूत ल मिटायें ये धाम म ।
पुस्तक समीक्षा: ”कर्ण हूॅुं मैं” लेखक-श्री पवन प्रेमी जी, समीक्षक-डुमन लाल
ध्रुव
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भावों के अनुभव संसार को, यथार्थ के अन्तश्चेतना काव्य संग्रह – कर्ण हूं मैं
– डुमन लाल ध्रुव राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी एवं साहित्य के समदर्शी कवि
श्री पव...
16 घंटे पहले