मनखे मनखे सब सुनय, राम कथा मन लाय । कहय सुनय हर गांव मा, मनखे मन हरसाय ।। मनखे मन हरसाय, राम के महिमा सुन सुन । जागे एक सवाल, मोर मन मा तो सिरतुन ।। खोजव बने जवाब, जेन जाने हव तनके । भवसागर मा राम, बने हे काबर मनखे ।। हेतु अनेका जनम के, कोनो कहय विचार । विप्र धेनु अरू संत हित, लिन्ह मनुज अवतार ।। लिन्ह मनुज अवतार, विजय जय ला तारे बर । मेटे बर तो पाप, रावणे ला मारे बर ।। नारद के ओ श्राप, घला हा बने लपेटा । काला कहि हम ठोस, जनम के हेतु अनेका ।। सतजुग त्रेता के कथा, तैं हर सबो सुनाय । कलजुग मा का काम के, कारण जेन बताय ।। कारण जेन बताय, देख ओला आंखी ले । चलत हवे विज्ञान, खोजथे सब साखी ले ।। येही जुग के नाम, हवय गा पापी कलजुग । खाय तभे पतिआय, कहां बाचे हे सतजुग ।। मरयादा ला राम हा, जी के तो देखाय । जइसे के विज्ञान हा, कारण देत जनाय ।। कारण देत जनाय, बने ओ काबर मनखे । मनखे के मरजाद, बनाये हे छन छन के ।। कसे कसौटी देख, राम के हर वादा । मनखे कइसे होय, होय कइसे मरयादा ।। कारण केवल एक हे, जेखर बर ओ आय । मनखे बन भगवान हा, मनखे ला सीखाय ।। मनखे ला सी...