1. कोनो काम छोटे बड़े नई होवय, जऊन काम म मन लगय ओही काम करव । बघवा कइसे छोटे बड़े शिकार म ध्यान लगाये हे, ऐमा जरूर विचार करव ।। 2. सिखे के कहू ललक होही, मनखे कोनो मेर ले रद्दा खोज लेही । भवरा जइसे फूल ऊपर होही, त मधु मधु मधुर परागेच ल पिही ।। 3. भगवान चंदन के फर फूर कहां बनाये हे, तभो चारो कोती खुशी बगराये हे । इही त्याग अऊ तपस्या ले, भगवान ऐला अपन माथे म चढ़ाय हे ।। 4. सज्जन पुरूष ओइसने होथे, जइसे होथे रूख । ठाड़हे च रहिथे चाहे बारीश होवय के धूप ।। दूसरेच बर फरथे अऊ फूलथे, चाहे जिनगी जावय सूख ।। 5. बगुला कइसे ध्यान लगाये हे, जम्मो इंद्रिल अपन काम म लाये हे । अइसने जऊन मनखे अपन काम म मन लगाये हे, जम्मो सुख ल पाये हे ।। 6. जेन करम के करे म बडे ल नई दे सकय दोस । उही करम ल छोटे के करे म उतार देही रोस ।। 7. मुह ले निकले हर भाखा कोई न कोई बात होथे, कोनो फूलवा के महक त कोनो दिल म अघात होथे । 8. मोह जम्मो दुख के जर म हे, माया मन हे थांगा म । लालच म जेने आये हे, तेने च ह फसे हे फांदा म ।। .............‘‘रमेश‘‘........................
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
-
‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
3 दिन पहले