हे जगत जननी महामाई, सदा रहव सहाई ।
मैं तोर नान्हे नादान लईका, अऊ तही मोर दाई ।
तोरेच किरपा म ये जिंनगी पाय हव ।
तोहीच ल अपन मन मंदिर म बसाय हव ।
श्रद्धा के फूल मईया तोला मै चढ़ाय हव ।
विश्वास के दिया मईया मै ह जलाय हव ।
तोरेच आशीषले ये दुनिया हे सुहाई ।
हे जगत जननी महामाई, सदा रहव सहाई ।
जब ले होश सम्हालेव तब ले तोला जानेव ।
जिनगी के जम्मो दुख ल तोरे चैखट म लानेव ।
तोर नाम के सिवाय पूजा पाठ मैं नई जानेव ।
चंचल मन अऊ चंचल तन ऐला कहा सम्हालेव ।
क्षमा करिहव मोर जम्मो अपराध बिसराई ।
हे जगत जननी महामाई, सदा रहव सहाई ।
हे जगत जननी महामाई, सदा रहव सहाई ।
...............रमेश...............
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