लईकापन म खूब खेलेंव अऊ सनायेंव माटी मा ।
पुतरा पुतरी अऊ घरघुंदिया बनायेंव धुर्रा माटी मा ।।
डंडा पंचरंगा अऊ भवरा बाटी खेलयेंव माटी मा
घोर घोर रानी अऊ छपक छपक खेलयेंव माटी मा ।
जवानी म जांगर टोर कमायेंव मिल के माटी मा ।
मुंधरहा ले संझा तक नांगर जोतेयेंव माटी मा ।।
ईटा भिथिया अऊ खपरा बनायंव माटी मा ।।
सुघ्घर सुघ्घर घर कुरीया संवारेंव माटी मा ।
संगी जहुरिया अऊ सगा नाता बनायेंव माटी मा ।
दुनियादारी निभऐंव, गुलछर्रा उडायेंव माटी मा ।।
आगे बुढापा कांपत हाथ गोड माढ़त नईये माटी मा ।
खांसी खखांर ला लुकावत हंव अब मैं माटी मा ।।
बुढ़ापा के मोर संगी नाती मन खेलत हे माटी मा।
कोनो सगा संगी नईये आंखी गडांयेंव हंव माटी मा ।।
फूलत हे सास जीये के नइये आस समाना हे माटी मा ।
उतार दव खटिया सोवा दव मोला अब माटी मा ।।
पुतरा पुतरी अऊ घरघुंदिया बनायेंव धुर्रा माटी मा ।।
डंडा पंचरंगा अऊ भवरा बाटी खेलयेंव माटी मा
घोर घोर रानी अऊ छपक छपक खेलयेंव माटी मा ।
जवानी म जांगर टोर कमायेंव मिल के माटी मा ।
मुंधरहा ले संझा तक नांगर जोतेयेंव माटी मा ।।
ईटा भिथिया अऊ खपरा बनायंव माटी मा ।।
सुघ्घर सुघ्घर घर कुरीया संवारेंव माटी मा ।
संगी जहुरिया अऊ सगा नाता बनायेंव माटी मा ।
दुनियादारी निभऐंव, गुलछर्रा उडायेंव माटी मा ।।
आगे बुढापा कांपत हाथ गोड माढ़त नईये माटी मा ।
खांसी खखांर ला लुकावत हंव अब मैं माटी मा ।।
बुढ़ापा के मोर संगी नाती मन खेलत हे माटी मा।
कोनो सगा संगी नईये आंखी गडांयेंव हंव माटी मा ।।
फूलत हे सास जीये के नइये आस समाना हे माटी मा ।
उतार दव खटिया सोवा दव मोला अब माटी मा ।।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें