आज करबे काल पाबे, जानथे सब कोय । डोलथे जब हाथ गोड़े, जिंदगी तब होय ।। काम सुग्घर दाम सुग्घर, मांग लौ दमदार । काम घिनहा दाम घिनहा, हाथ धर मन मार ।। डोकरापन पोठ होथे, ढोय पहिली काम । नानपन ले काम करके, पोठ राखे चाम ।। नानपन मा जेन मनखे, लात राखे तान । भोगही ओ काल जूहर, बात पक्का मान ।। नानपन ले काम कर लौ, देह होही पोठ । आज के ये तोर सुख मा, काल दिखही खोट ।। कान अपने खोल सुन लौ, आज दाई बाप । खेल खेलय तोर लइका, मेहनत ला नाप ।। देह बर तो काम जरुरी, बात पक्का मान । खेल हा तो काम ओखर, गोठ सिरतुन जान ।। तोर पढ़ई काम भर ले, बुद्धि होही पोठ । काम बिन ये देह तोरे, होहि कइसे रोठ ।। खेल मन भर नानपन मा, खोर अँगना झाक । रात दिन तैं फोर आँखी, स्क्रीन ला मत ताक ।। नानपन ले जेन जानय, होय कइसे काम । झेल पीरा आज ओ तो, काल करथे नाम ।। -रमेश चौहान
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले