//बनिहार//
आज जेला देखव तेने हा
बनिहार के गुण गावत नई अघावत हे
चारोकोती आँखी मा
जउन कुछ दिखत हे
बनिहार के
पसीना मा सनाय हे
काली मोर गाँव के दाऊ
कहत रहिस
काली जेन बनिहार
हमर पाँव परत रहिस
आज ओखर पाँव परे ला होगे हे
सालेमन के
ओहू
आज लिखिस
"मजदूर दिवस की शुभकामना"
तुलसी चौरा अंगना, पीपर तरिया पार । लहर लहर खेती करय, अइसन गांव हमार ।। गोबर खातू डार ले, खेती होही पोठ । लइका बच्चा मन घला, करही तोरे गोठ ।। गउचर परिया छोड़ दे, खड़े रहन दे पेड़ । चारा चरही ससन भर, गाय पठरू अउ भेड़ ।। गली खोर अउ अंगना, राखव लीप बहार । रहिही चंगा देह हा, होय नही बीमार ।। मोटर गाड़ी के धुॅंवा, करय हाल बेहाल । रूख राई मन हे कहां, जंगल हे बदहाल ।। -रमेश चौहान
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