मुँहझुंझुल उठ ले, जल्दी पुट ले, खटिया छोड़े, खुशी धरे ।
हे अनमोल दवा, सुबे के हवा, पाबे फोकट, बाँह भरे ।।
रेंग कोस भर गा, छोड़व डर गा, रहिही तबियत, तोर बने ।
डाॅक्टर के चक्कर, करथे फक्कड़, पइसा-कौड़ी, लेत हने ।।
काबर रतिहा ले, तैं बतिया ले, सुते न जल्दी, लेट करे ।
मोबाइल धर के, गाड़ा भर के, फोकट-फोकट, चेट करे ।।
जे जल्दी सुतही, जल्दी उठही, पक्का मानव, बात खरा ।
जाने हे जम्मा, तभो निकम्मा, काबर रहिथे, गोठ ढरा ।।
हे नवा जमाना, नवा बहाना, गोठ नवा भर, इहां हवे ।
हे धरती जुन्ना, बाते गुन्ना, जेखर ले तो, देह हवे ।।
माटी मा माटी, बनके साथी, जेने रहिथे, स्वस्थ हवे।
करथे हैरानी, धरे जवानी, अइसन मनखे, बने हवे ।।
-रमेश चौहान
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