चित्र गुगल से सौजन्य एक अकेला आए जग मा, एक अकेला जाबे । जइसे करनी तइसे भरनी, अपन करम गति पाबे ।। माटी होही तोरे चोला, माटी मा मिल जाबे । नाम करम के जिंदा रहिही, जब तैं काम कमाबे ।। चरदिनिया ये संगी साथी, बने बने मा भाथे । चारा मनभर चरय बोकरा, फेर कहां मिमियाथे ।। हाथ-गोड़ के लरे-परे मा, संगी कोन कहाथे । अपन देह हा अपने ऊपर, पथरा असन जनाथे ।। कोन जनी गा काखर मेरा,, भरे हवय कोरोना । संगी साथी ला देखे मा तो, परही तोला रोना ।। भीड़-भाड़ ले दूरिया रही के, अपना हाथ ला धोना । रोग बड़े है दुनिया बोलय, मत तैं समझ खिलौना ।। -रमेश चौहान
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
-
‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
5 दिन पहले