सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कतका झन देखे हें-

कृष्ण जन्माष्टमी


फ़ोटो: आठे कन्हया के लमे बाह भर बधाई

कृष्ण जन्माष्टमी

भादो के महीना, घटा छाये अंधियारी,
बड़ डरावना हे, ये रात कारी कारी ।

कंस के कारागार, बड़ रहिन पहेरेदार,
चारो कोती चमुन्दा, खुल्ला नईये एकोद्वार ।

देवकी वासुदेव पुकारे हे दीनानाथ,
अब दुख सहावत नइये करलव सनाथ ।

एक एक करके छैय लइका मारे कंस,
सातवइया घला होगे कइसे अपभ्रंस ।

आठवईंया के हे बारी कइसे करव तइयारी,
ऐखरे बर होय हे आकाषवाणी हे खरारी ।

मन खिलखिवत हे फेर थोकिन डर्रावत हे,
कंस के काल हे के पहिली कस एखरो हाल हे ।

ओही समय चमके बिजली घटाटोप,
निचट अंधियारी के होगे ऊंहा लोप ।

बिजली अतका के जम्मो के आंखी कान मुंदागे,
दमकत बदन चमकत मुकुट चार हाथ वाले आगे ।

देवकी वासुदेव के हाथ गोड़ के बेड़ी फेकागे,
जम्मो पहरेदारमन ल बड़ जोर के निदं आगे ।

देखत हे देवकी वासुदेव त देखत रहिगे,
कतका सुघ्घर हे ओखर रूप मनोहर का कहिबे ।

चिटक भर म होइस परमपिता के ऊंहला भान,
नाना भांति ले करे लगिन ऊंखर यशोगान ।

तुहीमन सृष्टि के करइवा अव जम्मो जीव के देखइया अव,
धरती के भार हरइया अव जीवन नइया के खेवइया अव ।

मायापति माया देखाके होगे अंतरध्यान,
बालक रूप म प्रगटे आज तो भगवान ।

प्रगटे आज तो भगवान मंगल गाओं,
खुशी मनाओ भई आज खुशी मनाओं ।



भादो के महीना, घटा छाये अंधियारी,
बड़ डरावना हे, ये रात कारी कारी ।

कंस के कारागार, बड़ रहिन पहेरेदार,
चारो कोती चमुन्दा, खुल्ला नईये एकोद्वार ।

देवकी वासुदेव पुकारे हे दीनानाथ,
अब दुख सहावत नइये करलव सनाथ ।

एक एक करके छैय लइका मारे कंस,
सातवइया घला होगे कइसे अपभ्रंस ।

आठवईंया के हे बारी कइसे करव तइयारी,
ऐखरे बर होय हे आकाषवाणी हे खरारी ।

मन खिलखिवत हे फेर थोकिन डर्रावत हे,
कंस के काल हे के पहिली कस एखरो हाल हे ।

ओही समय चमके बिजली घटाटोप,
निचट अंधियारी के होगे ऊंहा लोप ।

बिजली अतका के जम्मो के आंखी कान मुंदागे,
दमकत बदन चमकत मुकुट चार हाथ वाले आगे ।

देवकी वासुदेव के हाथ गोड़ के बेड़ी फेकागे,
जम्मो पहरेदारमन ल बड़ जोर के निदं आगे ।

देखत हे देवकी वासुदेव त देखत रहिगे,
कतका सुघ्घर हे ओखर रूप मनोहर का कहिबे ।

चिटक भर म होइस परमपिता के ऊंहला भान,
नाना भांति ले करे लगिन ऊंखर यशोगान ।

तुहीमन सृष्टि के करइवा अव जम्मो जीव के देखइया अव,
धरती के भार हरइया अव जीवन नइया के खेवइया अव ।

मायापति माया देखाके होगे अंतरध्यान,
बालक रूप म प्रगटे आज तो भगवान ।

प्रगटे आज तो भगवान मंगल गाओं,
खुशी मनाओ भई आज खुशी मनाओं ।

टिप्पणियाँ

सबले जादाझन देखे हे-

राउत दोहा बर दोहा-

तुलसी चौरा अंगना, पीपर तरिया पार । लहर लहर खेती करय, अइसन गांव हमार ।। गोबर खातू डार ले, खेती होही पोठ । लइका बच्चा मन घला, करही तोरे गोठ ।। गउचर परिया छोड़ दे, खड़े रहन दे पेड़ । चारा चरही ससन भर, गाय पठरू अउ भेड़ ।। गली खोर अउ अंगना, राखव लीप बहार । रहिही चंगा देह हा, होय नही बीमार  ।। मोटर गाड़ी के धुॅंवा, करय हाल बेहाल । रूख राई मन हे कहां, जंगल हे बदहाल ।। -रमेश चौहान

देवारी दोहा- देवारी के आड़ मा

दोहा चिट-पट  दूनों संग मा, सिक्का के दू छोर । देवारी के आड़ मा, दिखे जुआ के जोर ।। डर हे छुछवा होय के, मनखे तन ला पाय । लक्ष्मी ला परघाय के, पइसा हार गवाय ।। कोन नई हे बेवड़ा, जेती देख बिजार। सुख दुख ह बहाना हवय, रोज लगे बाजार ।। कहत सुनत तो हे सबो, माने कोने बात । सबो बात खुद जानथे, करय तभो खुद घात ।। -रमेश चौहान

चार आंतकी के मारे ले

आल्‍हा छंद मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय । जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।। मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे आय । जीयत जागत रोबोट बने, आका के ओ हुकुम बजाय ।। मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय । जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।। मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे खाय । जीयत-जागत जींद बने ओ, आका के सब हुकुम बजाय ।। ओखर मन का सोच भरे हे, अपनो जीवन देत गवाय । काबर बाचा माने ओ हा, हमला तो समझ नई आय ।। चार आदमी मिल के कइसे, दुनिया भर ला नाच नचाय । लगथे कोनो तो परदा हे, जेखर पाछू बहुत लुकाय ।। रसद कहां ले पाथे ओमन, बइठे बइठे जउने खाय । पाथे बारूद बम्म कहां ले, अतका नोट कहां ले आय ।। हमर सुपारी देके कोने, घर बइठे-बइठे मुस्काय । खोजव संगी अइसन बैरी, आतंकी तो जउन बनाय । चार आतंकी के मारे ले, आतंकी तो नई सिराय । जेन सोच ले आतंकी हे, तेन सोच कइसे मा जाय ।। कब तक डारा काटत रहिबो, जर ला अब खन कोड़ हटाव । नाम रहय मत ओखर जग मा, अइसन कोनो काम बनाव ।। -रमेश चौहान

भोजली गीत

रिमझिम रिमझिम सावन के फुहारे । चंदन छिटा देवंव दाई जम्मो अंग तुहारे ।। तरिया भरे पानी धनहा बाढ़े धाने । जल्दी जल्दी सिरजव दाई राखव हमरे माने ।। नान्हे नान्हे लइका करत हन तोर सेवा । तोरे संग मा दाई आय हे भोले देवा ।। फूल चढ़े पान चढ़े चढ़े नरियर भेला । गोहरावत हन दाई मेटव हमर झमेला ।। -रमेशकुमार सिंह चैहान

जनउला हे अबूझ

का करि का हम ना करी, जनउला हे अबूझ । बात बिसार तइहा के, देखाना हे सूझ ।। देखाना हे सूझ, कहे गा हमरे मुन्ना हा । हवे अंधविश्वास, सोच तुहरे जुन्ना हा ।। नवा जमाना देख, कहूं  तकलीफ हवय का । मनखे मनखे एक, भेद थोरको हवय का ।। -रमेश चौहान

अटकन बटकन दही चटाका

चौपाई छंद अटकन बटकन दही चटाका । झर झर पानी गिरे रचाका लउहा-लाटा बन के कांटा । चिखला हा गरीब के बांटा तुहुुर-तुहुर पानी हा आवय । हमर छानही चूहत जावय सावन म करेला हा पाके । करू करू काबर दुनिया लागे चल चल बेटी गंगा जाबो । जिहां छूटकारा हम पाबो गंगा ले गोदावरी चलिन । मरीन काबर हम अलिन-गलिन पाका पाका बेल ल खाबो । हमन मुक्ति के मारग पाबो छुये बेल के डारा टूटे । जीये के सब आसा छूटे भरे कटोरा हमरे फूटे । प्राण देह ले जइसे छूटे काऊ माऊ छाये जाला । दुनिया लागे घात बवाला -रमेश चौहान

करेजा मा महुवा पागे मोर (युगल गीत)

मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । चंदा देख देख लुकावत हे, छोटे बड़े मुॅह बनावत हे, एकसस्सू दमकत, एकसस्सू दमकत, गोरी चेहरा तोर ।। करेजा मा महुवा पागे मोर     बनवारी कस रिझावत हे     मन ले मन ला चोरावत हे,     घातेच मोहत, घातेच मोहत,     सावरिया सूरत तोर ।  तन मन मा नशा छागे मोर मारत हे हिलोर जस लहरा सागर कस कइसन गहरा सिरतुन मा, सिरतुन मा,   अंतस मया गोरी तोर ।।  करेजा मा महुवा पागे मोर     छाय हवय कस बदरा     आंखी समाय जस कजरा     मोरे मन मा, मोरे मन मा     जादू मया तोर ।  तन मन मा नशा छागे मोर मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । -रमेशकुमार सिंह चैहान

कतका तैं इतराय हस

राम राम कह राम, जगत ले तोला तरना । आज नही ता काल, सबो ला तो हे मरना ।। मृत्युलोक हे नाम, कोन हे अमर जगत मा । जप ले सीताराम, मिले हे जेन फकत मा ।। अपन उमर भर देख ले, का खोये का पाय हस । लइका पन ले आज तक, कतका तैं इतराय हस ।।

छत्तीसगढ़ी दोहा

छत्तीसगढ़ी दोहा    हर भाखा के कुछु न कुछु, सस्ता महंगा दाम ।    अपन दाम अतका रखव, आवय सबके काम ।।    दुखवा के जर मोह हे , माया थांघा जान ।    दुनिया माया मोह के, फांदा कस तै मान।।    ये जिनगी कइसे बनय, ये कहूं बिखर जाय ।    मन आसा विस्वास तो, बिगड़े काम बनाय ।। -रमेश चौहान .

तांका

1. जेन बोलय छत्तीसगढ़ी बोली अड़हा मन ओला अड़हा कहय मरम नई जाने । 2. सावन भादो तन मा आगी लगे गे तै मइके पहिली तीजा पोरा दिल मा मया बारे 3. बादर कारी नाचत छमाछम बरखा रानी बरसे झमाझाम सावन के महिना 4. स्कूल तै जाबे घातेच मजा पाबे आनी बानी के पढ़बे अऊ खाबे सपना तै सजाबे

मोर दूसर ब्लॉग