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सितंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कतका झन देखे हें-

कोन रचे जग सृष्टिन सुंदर

हे मइया महिमा तुहरे जग चार जुगे त्रिय काल समाये । वो तइहा अउ आज घला सब भक्त मिले तुहरे जस गाये । पार न पावय देवन सृष्टि म नेति कहे सब माथ नवाये । ये मनखे कइसे तुइरे जस फेर भला कुछु बात बताये ।। कोन रचे जग सृष्टिन सुंदर, लालन पालन कोन करे हे । कोन इहां उपजावय जीवन, काल धुरी भुज कोन धरे हे ।। जेखर ले उपजे विधि शंकर, जेन रमापति ला उपजाये । आदि अनंत न जेखर जानन, शक्ति उही हर काय कहाये ।। शैल सुता ह रचे जग सुंदर, लालन पालन गौरि करे हे । आदि उमा उपजावय जीवन, काल धुरी भुज कालि धरे हे ।। आदिच शक्ति ह तो विधि शंकर राम रमापति ला उपजाये । आदि अनंत पता नइ जेखर, शक्ति उही हर मातु कहाये ।। -रमेश चौहान मिश्रापारा, नवागढ जिला-बेमेतरा

हमला माता लेहु बचाय

जगमग जगमग जोत करत हे, मंदिर मंदिर देवी ठांव । जंगल भीतर पर्वत ऊपर, शहर-शहर अउ जम्मो गांव ।। माता के जयकारा गूंजे, जब छाये जग मा नवरात । धरती नाचे बादर झूमे, रूख राई घाते इतरात ।। लहर लहर जब करे जवारा, सबो देवता माथ नवात । परम शांति अउ सुख ला पावय, जेने ऐखर दरशन पात । अइसन बेरा भगत जान के, मइया के ते द्वारे जात । अपने मन के सबो मनौती, मइया ले सबो गोहरात।। नाना भगतन मइया के हे, नाना रूप अपन देखाय । धरे ढोल मादर कतको मन, दिव्य कथा तोरे तो गाय । बरन बरन के बाजा बाजे, बरन बरन के राग सुनाय ।। कोनो जिभिया बाना छेदे, कोनो छाती जोत मढ़ाय ।। कोनो सुन जस तोरे झूमे, सांटे मांगे हाथ लमाय । झूपत झूपत भगतन नाचे, सुध बुध ला अपने बिसराय ।। श्रद्धा अउ विश्वास धरे सब, मइया मइया करे पुकार । सबो मनौती सबके मइया, पूरा कर करदव उपकार ।। कोरा के हम तोरे लइका, तैं हमरे जग जननी माय । मानवता पथ छोड़ी झन हम, हमला माता लेहु बचाय ।।

माता रानी, दाई ओ

हे जग कल्याणी, आदि भवानी, माता रानी, दाई ओ । दुष्टन ला मारे, संतन तारे, भगत उबारे, दाई ओ। जुग जुग ले छाहित, हवस समाहित, श्रद्धा भगती -मा दाई ।। मां तोरे ममता, सब बर समता, जीव जंतु मा, हे छाई ।। आये नवराते, भगतन माते, दिन राते तो, सेवत हे । नौ दिन नौ रूपे, भगतन झूपे, साट हाथ मा, लेवत हे । जय जय मां काली, शेरावाली, खप्पर धारी, दाई ओ । तहीं दंतेश्वरी, बम्मलेश्वरी, चंद्रहासनी, अउ तहीं महा-माईओ । पहिली दच्छसुता, के शैलसुता, ब्रह्मचारणी, दूसर मा । तीसर चंद्रघण्टा, हे कूष्माण्डा, चउथा नामे, तो उर मा ।। पंचम स्कन्धमाता, भाग्य विधाता, कात्यानी तो, छठ दाई । कालरात्रि साते, गौरी आठे, नवम सिद्धदात्री, नौ दाई ।। तोरे दरवाजा, भगत समाजा, अपने माथा, फोरत हे । सब औती-जौती, धरे मनौती, अपने हाथे, जोरत हे ।। मन मा विश्वासा, होही आसा, अब तो पूरा, दाई ओ । ये ममता तोरे, जिनगी मोरे, कूंद-कूंद सुघ-राई ओ ।।

दाई नवगढ़हिन

दाई नवगढ़हिन हवय, माना तरिया पार । नाव महामाया हवय, महिमा हवय अपार ।। लाल बरन दाई हवय, जिभिया लाल लमाय । लाली चुनरी ओढ़ के, अपन दया बगराय ।। कहन डोकरी दाई हमन, करके मया दुलार । दाई नवगढ़हिन हवय .. दाई मयारू घात हे, पुरखा हमर बताय । सबो भगत के दुख दरद, सुनते जेन मिटाय ।। राज पहर ले हे बसे, किल्ला पुछा कछार । दाई नवगढ़हिन हवय... मंदिर तरिया घाट हा, बनते बनते जाय । फेर बिराजे दाई इहां, आसन एक जमाय ।। ददा बबा ले आज तक, करत हमर उद्धार । दाई नवगढ़हिन हवय....

पितर पाख

पितर पाख मा देवता, पुरखा बन आय । कोनो दाई अउ ददा, कोनो बबा कहाय ।। श्रद्धा अउ विश्वास मा, होवय नही सवाल । अपन अपन आस्था हवय, काबर करे बवाल ।। हरियर हरियर पेड़ मा, पानी नई पिलोय । मरे झाड़ मा तैं अभे, हउला भरे रिकोय ।। बारे न दिया रात मा, दिन म करे अंजोर । बइहा पूरा देख के, तउरे ल सिखे घोर ।। अपने पहिली प्यार ला, भूलय ना संसार । तोरे दाई के मया, आवय पहिली प्यार ।। रंग रंग के हे मया, एक रंग झन देख । सात रंग अउ सात सुर, दुनिया रखे समेख ।। नारी के नारी मनन, समझे कहां सुभाव । सास बहु मन गोठ मा, कर डारे हे घाव ।। दाई के ओ बेटवा, बाई के सिंदूर । जेन रंग ला वो धरे, रंगे हाथ जरूर ।। नारी ले परिवार हे, नारी ले घर-द्वार । चाहे ओ हर जोर लय, चाहे रखय उजार ।। सास ससुर दाई ददा, बनके करे दुलार । बहू घला बेटी असन, करय उन्हला प्यार ।। बने रहय विश्वास हा, आस्था रहय सजोर । श्रद्धा के ये श्राद्ध हा, दया करय पुरजोर ।। -रमेश चौहान

मोर छत्तीसगढी के पहिलि परकासित पुस्तक-"सुरता"

मोर छत्तीसगढी के पहिलि परकासित पुस्तक, विमोचन दिनांक 21 फरवरी 2015, छत्तीसगढ राजभाषा आयोग के तीसर प्रान्तीय सम्मेलन, बिलासपुर मा विमोचित ये पता मा जाके पढ सकत हंव https://drive.google.com/file/d/0B_vVk5gISWv3YkhvYjdPTWJHZms/view?usp=sharing / https://drive.google.com/file/d/0B_vVk5gISWv3YkhvYjdPTWJHZms/view?usp=sharing

जय हो मइया शारदे

जय हो मइया शारदे, पांव पखारॅंव तोर । तोरे दर मा आंय हॅंव, बिनती सुन ले मोर । बइठे सादा हंस मा, करे सेत सिंगार । सादा लुगरा तोर हे, सादा गहना झार ।। सादा के ये सादगी, ममता के हे डोर । तोरे दर मा आंय हॅंव. एक हाथ वीणा हवय, दूसर वेद पुराण । वीणा के झंकार हा, डारे जग मा जान ।। वेद ज्ञान परकाश हा, करत हवे अंजोर। तोरे दर मा आंय हॅंव. ज्ञान समुंदर तैं हवस, अविरल अगम अथाह । कोनो ज्ञानी हे कहां, पावय जेने थाह ।। तोर दया ला पाय बर, बिनय करत कर जोर । तोरे दर मा आंय हॅंव.

चरण पखारॅंव तोर प्रभु

चरण पखारॅंव तोर प्रभु, श्रद्धा भेट चढाय । तोरे मूरत ला अपन, हिरदय रखॅव मढाय ।। हाथी जइसे मुॅह हवय, सूपा जइसे कान । हउला जइसे पेट हे, लइका के भगवान ।। तोरे अइसन रूप हा, तोर भगत ला भाय । चरण पखारॅंव तोर प्रभु.... सहज सरल तो तैं हवस, सब ला देत अषीश । लइका मन तोला अपन, संगी कर डारीष ।। लाये तोरे मूरती, घर-घर मा पघराय । चरण पखारॅंव तोर प्रभु... जम्मो बाधा मेटथस, पाय भगत गोहार । कारज के षुरूवात मा, करथन तोर पुकार ।। विघ्न हरन तब तो जगत, तोरे नाम धराय । चरण पखारॅंव तोर प्रभु..... ...©-रमेश चौहान

आजा मोरे अंगना, हे गणपति गणराज

आजा मोरे अंगना, हे गणपति गणराज । गाड़ा गाड़ा नेवता, तोला हे महराज ।। भादो के महिना हवय, अउ अंजोरी पाख । तोर जनम दिन के बखत, दया मया ले ताख ।। तोरे जस हम गात हन, सुन ले प्रभु आवाज । आजा मोरे अंगना... तीन लोक चउदा भुवन, करे ज्ञान परकास । तही बुद्वि दाता हवस, हवे जगत ला आस । विघ्न हरण मंगल करण, कर दे पूरा काज । आजा मोरे अंगना... नान नान लइका हमन, तोर चरण मा जाय । करबो पूजा आरती, मोदक भोग लगाय ।। मूरख अज्ञानी हवन, रख दे हमरे लाज । आजा मोरे अंगना... गली गली हर गांव मा, तोरे हे जयकार । मूषक वाहन साज के, सजा अपन दरबार ।। अपन भगत के मान रख, होवय तोरे नाज । आजा मोरे अंगना...

अब तो बांटा तोर हे

शान रहिस जे काल के, रहिस हमर पहिचान । नंदावत वो चीज मा, कइसे डारी जान ।। कतको बरजे डोकरा, माने नही जवान । जुन्ना डारा छोड़ के, टूटथे नवा पान ।। गोठ नवा जुन्ना चलय, जइसे के दिन रात । अपन अपन हा पोठ हे, जेखर सुन ले बात ।। दुनिया के बदलाव ला, आँखी खोल निटोर । ओही चंदा अउ सुरूज, ओही धरती तोर ।। अपन रीति रिवाज धरे, पुरखा आय हमार । अब तो बांटा तोर हे, ऐला तैं सम्हार ।।

नोनी के दाई अभी

नोनी के दाई अभी, गे हे मइके गाॅंव । मोरे बारा हाल हे, कोने हाल बताॅंव ।। तीजा पोरा नेंग हा, अलहन लागे झार । चूल्हा चउका के बुता, देथे मोला मार ।। भड़वा बरतन मांज के, अपन आंसू बोहाॅव । नोनी के दाई अभी... कभू भात गिल्ला बनय, कभू जरय गा माढ़ । साग बनय ना तो कभू, झोरे लगय असाढ़ ।। अपने मन ला मार के, अदर-कचर मैं खाॅंव । नोनी के दाई अभी... बड़ सुन्ना घर-बार हे, चाबे भिथिया आज । अपने घर आने लागे, कहत आत हे लाज ।। सांय-सांय अंतस करय, मन ला कहां लगांव । नोनी के दाई अभी... कहूं होतीस मोर गा, कोनो बहिनी एक । तीजा हा मोला तभे, लागतीस गा नेक ।। बिन बहिनी के ये दरद, काला आज बताॅंव । नोनी के दाई अभी...

डहत हवे गा बेंदरा

डहत हवे गा बेंदरा, कूद कूद अतलंग । खपरा परवा छानही, दिखत हवय बदरंग ।। तरई आंजन छानही, खपरा गे सब फूट । लड़त हवे गा हूड़का, एक दूसर म टूट ।। मोठ डाठ हे ओ दिखत, कतका दिखत मतंग । डहत हवे गा बेंदरा... बारी बखरी मैदान हे, खेले जिहां घुलंड । दरबर दरबर आय के, बने हवें बरबंड ।। देखव ईंखर काम हा, लगत हवे बड़बंग । डहत हवे गा बेंदरा... (बरबंड-पहलवान, बडबंग-बेढंगा) थक गे सब रखवार हा, इहां बेंदरा भगात । चारे दिन के चांदनी, फेर कुलूपे रात ।। सोचय कुछु सरकार हा, कइसे बदलय ढंग । डहत हवे गा बेंदरा... जंगल झाड़ी काट के, मनखे करे कमाल । रहय कहां अब बेंदरा, अइसन हे जब हाल ।। छाती मा ओ कूद के, लड़त हवे ना जंग । डहत हवे गा बेंदरा...

तीजा पोरा आत हे

तीजा पोरा आत हे, आही नोनी मोर । घर अंगना हा नाचही, नाचही गली खोर ।। लइकापन मा खेल के, सगली भतली खेल । पुतरा पुतरी जोर के, करे रहिस ओ मेल ।। ओखर दीया चूकिया, राखे हंव मैं जोर । तीजा पोरा आत हे.... जुन्ना जुन्ना फ्राक अउ, ओखर पेन किताब । धरे संदूक हेर के, बइठे करंव हिसाब ।। आगू पाछू ओ करय, धर धोती के छोर । तीजा पोरा आत हे.... नार करेला बाढ़ के, होथे जस छतनार । कोरा के बेटी घलो, चल देथे ससुरार ।। होय करेजा हा सगा, कहे करेजा मोर । तीजा पोरा आत हे.... दुनिया के ये रीत मा, बंधे हे संसार । नाचत गावत तो रहंय, लइका सबो हमार ।। परब परब मा आय के, तृष्णा ला दैं टोर । तीजा पोरा आत हे....

बादर बैरी तैं कहां

बादर बैरी तैं कहां, मुॅह ला अपन लुकाय । कइसे तैं आसों भला, भादों मा तड़पाय ।। काबर तैं गुसिआय हस, आज कनेखी देख । उमड़-घुमड़ तैं आय के, रूके नही पल एक ।। भादों के ये भोमरा, बने जेठ भरमाय ।। बादर बैरी तैं कहां..... धनहा के छाती फटे, मुड़ धर रोय किसान । नरवा मन पटपर हवय,  अटके अधर म जान ।। पानी के हर बूंद हा, तोरे कोख समाय ।। बादर बैरी तैं कहां..... काबर बिट्टोवत हवस, पर तो जही दुकाल । काबर हमरे संग मा, खेले छू-छूवाल ।। तोर रिसाये ले जगत, हमला कोन बचाय । बादर बैरी तैं कहां..... सुन ले अब गोहार ला, गुस्सा अपनेे छोड़ । माफी मांगत हन हमन, अपन हाथ ला जोड़ ।। रद्-रद् पानी अब बरस, जड़-जीवन हरसाय । बादर बैरी तैं कहां.....

आजा माखन चोर

रद्दा जोहत हन हमन, आजा माखन चोर । तोर बिना बिलवा कहूं,  लगे न मन हा मोर ।। तोरे मूरत देख के, आंखी म आसुु आय। मोर-मुकुट मुड़ मा हवय, मुॅह बसरी हा भाय ।। सुन सुन लीला तोर तो, नाचे मनुवा मोर । रद्दा जोहत हन हमन... अपन भगत बर तैं करे, बाल-चरित ब्रजधाम । लइका सियान तोर तो, धरे मोहना नाम ।। तोरे सुरता रात दिन, करे करेजा षोर । रद्दा जोहत हन हमन... भेट करे के आस मा, मोर चलत हे सास । आज नही ता काल तैं, रखबे मोरे आस ।। तोर हाथ मा तो हवय, मोरे जीवन डोर ।। रद्दा जोहत हन हमन...

शिक्षक दिवस पर दोहे

होय एक शिक्षक इहां, हमर राष्‍ट्रपति देश्‍ा । अब्बड़ ज्ञानी ओ रहिस, सादा ओखर वेष्‍ा ।। राधा कृष्‍णन नाम के, सर्वपली पहिचान । ज्ञानी दर्शन श्‍ाास्त्र के, जानय मनोविज्ञान ।। शिक्षण विषय मा डूब के, देवय ओ हा ज्ञान । ऐही गुण ले पाय हे, कई कई सम्मान । आज ओखर जनम दिन, कोटि कोटि परनाम । शिक्षक मन ले प्रार्थना, करव बने गा का म ।।

जय हो दाई खमरछठ

जय हो दाई खमरछठ, महिमा तोर अपार । लइका मन बर दे असिस, करत हवन गोहार ।। तोरे सगरी पार मा, बइठे हाथे जोर । लइका के दाई सबो, पाव पखारत तोर ।। रखबे दाई लाज ला, बन के तैं रखवार ।। जय हो दाई खमरछठ .... तोर दया ले देवकी, पाय रहिस बलराम । उतरा पाये बेटवा, परीक्षीत हे नाम।।।। तोरे दर मा आय हन, हमरो कोख सवार ।। जय हो दाई खमरछठ....... नागर रेंगे ना जिहां, ऊंहे के ले धान । भाजी पाला खाय के, राखे हन हम मान ।। महुवा लाई अउ चना, जोरे हवन निमार ।। जय हो दाई खमरछठ ... दूध दही ल भईस के, भर के महुवा पान । फुड़हर फूले हाथ ले, करत हवन यशगान ।। भर दे हमरे पोतनी, दया मया तैं झार ।। जय हो दाई खमरछठ.... तोर दया के पोतनी, मारॅंव लइका पीठ । धन दौलत अउ यश मिलय, होय उमर के ढीठ ।। गोरस के ओ लाज ला, राखय बने समार । जय हो दाई खमरछठ.......

अइसन सुंदर तैं दिखे

जिंस पेंट फटकाय के, निकले जब तैं खोर । लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।। देख देख ये रेंगना, कउंवा करें न कांव । मुक्का होगे मंगसा, परे तोर जब छांव ।। करिया बादर छाय हे, चेथी मा तो तोर । नील कमल हा हे खिले, तोरे आंखी कोर ।। लाल फूल दसमत खिले, पा के तोरे ओट । नाजुक होगे गाल हा, केश करे जब चोट ।। दूनो भौ के बीच मा, चंदा आय लुकाय । सुरूज अपन ओे रोशनी, तोरे मुॅह ले पाय ।। अइसन सुंदर तैं दिखे, मिले नही उपमान । जेने उपमा ला धरॅंव, होथे तोरे अपमान ।।

मोर दूसर ब्लॉग