छागे छागे बादर करिया, आगे सावन आगे । झिमिर-झिमिर जब बरसे बदरा, मन मोरो हरियागे ।। हरियर हरियर डोली धनहा, हरियर हरियर परिया । नदिया नरवा छलकत हावे, छलकत हावे तरिया ।। दुलहन जइसे धरती लागय, देख सरग बउरागे । झिमिर-झिमिर जब बरसे बदरा, मन मोरो हरियागे ।। चिरई-चिरगुन गावय गाना, पेड़-रुख हा नाचय । संग मेचका झिंगुरा दुनो, वेद मंत्र ला बाचय ।। साज मोहरी डफड़ा जइसे, गड़गड़ बिजली लागे । झिमिर-झिमिर जब बरसे बदरा, मन मोरो हरियागे ।। नांगर-बइला टेक्टर मिल के, करे बियासी धनहा । निंदा निंदय बनिहारिन मन, बचय नही अब बन हा ।। करे किसानी किसनहा सबो, राग-पाग ला पागे । झिमिर-झिमिर जब बरसे बदरा, मन मोरो हरियागे ।।
समृद्ध बस्तर, शोषित बस्तर- श्रीमती शकुंतला तरार
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श्रीमती शकुंतला तरार,एक ऐसी कवयित्री जो बस्तर में जन्मीं और बस्तर को ही
अपनी कलम का केन्द्र बनाया।सोचिए — जिस धरती पर जन्म हुआ, उसी पर इतनी गहराई
से लिखा क...
1 दिन पहले