पीरा होथे देख के, टूरा मन ला आज ।
कतको टूरा गाँव के, मरय न एको लाज ।
मरय न एको लाज, छोड़ के पढ़ई-लिखई ।
मानय बड़का काम, मात्र हीरो कस दिखई ।।
काटय ओला आज, एक फेशन के कीरा ।
पाछू हे हर बात, ऐखरे हे बड़ पीरा ।।
तुलसी चौरा अंगना, पीपर तरिया पार । लहर लहर खेती करय, अइसन गांव हमार ।। गोबर खातू डार ले, खेती होही पोठ । लइका बच्चा मन घला, करही तोरे गोठ ।। गउचर परिया छोड़ दे, खड़े रहन दे पेड़ । चारा चरही ससन भर, गाय पठरू अउ भेड़ ।। गली खोर अउ अंगना, राखव लीप बहार । रहिही चंगा देह हा, होय नही बीमार ।। मोटर गाड़ी के धुॅंवा, करय हाल बेहाल । रूख राई मन हे कहां, जंगल हे बदहाल ।। -रमेश चौहान
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