कई कई हे पंथ, सनातन बांटत ।
हिन्दू-हिन्दू बांट, धरम ला काटत ।।
रावण कस विद्वान, इहां ना बाचय ।
सबो बवन्डर झेल, सनातन साचय ।
धरम जम्मा धरे हावे प्रतिक एक ।
सबो अपने अपन ला तो कहे नेक ।।
बनाये मठ गड़ाये खम्ब साकार ।
तभो कहिथे इहां मंदिर हवे बेकार ।।
हिन्दू-हिन्दू बांट, धरम ला काटत ।।
रावण कस विद्वान, इहां ना बाचय ।
सबो बवन्डर झेल, सनातन साचय ।
धरम जम्मा धरे हावे प्रतिक एक ।
सबो अपने अपन ला तो कहे नेक ।।
बनाये मठ गड़ाये खम्ब साकार ।
तभो कहिथे इहां मंदिर हवे बेकार ।।
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