दाई बहिनी गाँव के, पारत हे गोहार ।
दारू भठ्ठी बंद हो, बचै हमर परिवार ।।
बचै हमर परिवार, मंद मा मत बोहावय ।
लइका हमर जवान, इही मा झन बेचावय ।।
जेखर सेती वोट, हमन दे हन गा भाई ।
वादा अपन निभाव, कहत हे बहिनी दाई ।।
-रमेश चौहान
छत्तीसगढ़ी भाषा अउ छत्तीसगढ़ के धरोहर ल समर्पित रमेशकुमार सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ी छंद कविता के कोठी ( rkdevendra.blogspot.com) छत्तीसगढ़ी म छंद विधा ल प्रोत्साहित करे बर बनाए गए हे । इहॉं आप मात्रिक छंद दोहा, चौपाई आदि और वार्णिक छंद के संगेसंग गजल, तुकांत अउ अतुकांत कविता पढ़ सकत हंव ।
दाई बहिनी गाँव के, पारत हे गोहार ।
दारू भठ्ठी बंद हो, बचै हमर परिवार ।।
बचै हमर परिवार, मंद मा मत बोहावय ।
लइका हमर जवान, इही मा झन बेचावय ।।
जेखर सेती वोट, हमन दे हन गा भाई ।
वादा अपन निभाव, कहत हे बहिनी दाई ।।
-रमेश चौहान
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