चाल बदल गे ढाल बदल गे, जब ले आए कोरोना ।
काम बंद हे दाम बंद हे, परगे हे हमला रोना ।।
काम-बुता के लाले परगे, कइसे अब होय गुजारा ।
कतका हम डर्रावत रहिबो, परय न पेट म जब चारा ।
रोग बड़े हे के पेट बड़े, संसो हे गा बड़ भारी ।
कोरोनो-कोरोना चिहरत, कभू मिटय न अंधियारी ।।
घर मा घुसरे-घुसरे संगी, दू पइसा घला न आवय ।
काम-बुता बिन पइसा नइ हे, पइसा बिन कुछु ना भावय ।।
दूनों कोती ले मरना हे, कइसे के जीबो संगी ।
घुसर-घुसरे घर मा मरबो, बाहिर कोरोना जंगी ।।
ऊँपर वाले कुछु तो सोचव , कइसन हे तोर तमासा ।
जीयन देबे ता जीयन दे, टूटत हे तोरे आसा ।।
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